देहरादून: राज्य में कोरोना वायरस के मामले लगातार कम हो रहे हैं। एक्टिव मामलों की संख्या अब 500 से नीचे है। ऐसा लग रहा है कि जल्द उत्तराखंड कोरोना फ्री स्टेट बन सकता है लेकिन ऐसा नहीं है। राज्य में कोरोना वायरस को लेकर लोग काफी लापरवाह हो रहे हैं। इसी वजह से आर नॉट काउंट एक से ज्यादा है। ये हम नहीं एम्स बोल रहा है। एम्स ने प्रदेशवासियों को चेताया है कि वह कोरोना वायरस के कम मामलों को हल्के में नहीं लें।
अगर ऐसा नहीं होता है तो तीसरी लहर आने में देर नहीं लगेगी, जो भारी नुकसान पहुंचा सकती है। उत्तराखंड में आर नॉट काउंट लगातार बढ़ रहा है। एम्स के निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने इसी वजह से अपनी चिंता व्यक्त की है। प्रदेश में इस वक्त आर नॉट काउंट 1.17 है। आर नॉट काउंट यह दर्शाता है कि एक कोरोना संक्रमित व्यक्ति कितने व्यक्तियों को कोरोना फैला रहा है। इससे यह भी पता चलता है कि कोरोना संक्रमण समाज में कितनी तेजी से फैल रहा है।
यह इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर लोग कोरोना वायरस से बचने के लिए अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे तो कोरोना वायरस कभी खत्म नहीं हो पाएगा। हालांकि उन्होंने कोरोना संक्रमण से बचाव के वैक्सीनेशन को बड़ा हथियार बताया। एम्स की मानें तो आर नॉट काउंट एक से कम रहना चाहिए।
उत्तराखंड का आर नॉट काउंट 1.17 है यानी 100 लोग 117 अन्य लोगों को कोरोना संक्रमण फैला सकते हैं। आंकड़ों के अनुसार भारत के 8 राज्यों में आर नॉट काउंट 1 से ज्यादा है। मिजोरम में आर नॉट काउंट 1.56, मेघालय में 1.27, सिक्किम में 1.26, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में 1.17, मणिपुर में 1.08, केरल में 1.2 और दिल्ली में 1.01 है।
एम्स ऋषिकेश की मानें तो उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या को कंट्रोल करने की जरूरत है। संख्या कम होगी तो कोरोना संक्रमण सुरक्षा हेतु बनाए गए सामाजिक दूरी के नियम का पालन हो सकेगा। इसके अलावा लोगों को भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। जब तक कोरोना वायरस का खतरा है तब तक भीड़ भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें।