देहरादून, उत्तराखंड का चिकित्सा शिक्षा विभाग भी अब स्वास्थ्य परिवार कल्याण की राह पर चलता हुआ दिखाई दे रहा है जहां अटैचमेंट निरस्त करने के आदेश होने के बावजूद भी तमाम कर्मचारियों को अटैचमेंट का लाभ दिया जा रहा है तो वहीं चिकित्सा शिक्षा विभाग भी इससे इतर नहीं है जहां स्थाई नियुक्ति वालों को भले ही इस प्रकार की सुविधाएं कम मिले लेकिन संविदा कर्मचारियों को अटैचमेंट का भी भरपूर लाभ दिया जा रहा है इतना ही नहीं जब आकाओं की ऐसे संविदा कर्मचारियों के ऊपर हो तो फिर सरकारी आवास की सुविधा मिलना भी कोई बड़ी बात नही है, जबकि नियमों के अनुसार संविदा कर्मचारियों को सरकारी आवास की सुविधा देने का कोई प्रावधान नहीं है।। लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग ने यह कारनामा भी कर दिखाया है।। जिससे विभाग की चौतरफा भत्त पिट रही है कर्मचारियों में इस बात को लेकर आक्रोश है कि जब स्थाई कर्मचारियों के लिए आवास की कमी है तो फिर संविदा कर्मचारियों के लिए यह सुविधा कैसे अपनाई गई है आलम यह है कि श्रीनगर से कोरोना काल में चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय में कुछ संविदा कर्मचारियों को अटैच किए गया था जिन्हें कोरोना समाप्त होने के बाद वापस मूल तैनाती पर भेजने के आदेश भी दिए गए जिसमें से ज्यादातर कर्मचारी मूल तैनाती पर वापस भी लोट गए है जबकि 2 चहेते कर्मचारियों को मूल तैनाती पर वापस नहीं भेजा गया है।। आलम यह कि कर्मचारियों की आवश्यकता को देखते हुए संविदा पर नियुक्ति श्रीनगर में की गई और काम दून मेडिकल कॉलेज में लिया जा रहा है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग में नियम और कानून जैसी व्यवस्था लागू नहीं होती, भले ही सरकार की तरफ से कितने ही निर्देश व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए जारी कर दिए गए हो।