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10वीं में 10 बार फेल ओर दो बार इंटर फेल होने के बाद भी बना बच्चों का हीरो

MalaysiaTeacher
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MalaysiaTeacher : InspirationStory  : OKU  ; NeverGiveUp  : EducationSuccess : कहते हैं कि किस्मत और काबिलियत में फर्क होता है….लेकिन मलेशिया के एक होनहार ने साबित कर दिया कि अगर हौसला बुलंद हो तो किस्मत भी झुक जाती है।

यह शख्स जन्म से OKU (Orang Kurang Upaya) था यानी शारीरिक रूप से दिव्यांग। उसे लिखने-पढ़ने और याद रखने में बहुत दिक्कत होती थी। इसके बावजूद उसने कभी हिम्मत नहीं हारी।

दसवीं कक्षा की मलेशियाई Sijil Pelajaran Malaysia (SPM) परीक्षा में उसने दसवीं बार में पास किया। लोग ताने मारते, रिश्तेदार हंसते, दोस्त छोड़कर चले जाते…..लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने अपनी मां से साफ कहा था कि यह उसका आखिरी मौका होगा। और आखिरकार उसने सफलता हासिल की।

फिर चुनौती और बढ़ी। ट्वेल्व्थ की Sijil Tinggi Persekolahan Malaysia (STPM) परीक्षा में उसे दो बार प्रयास करना पड़ा। यह मलेशिया की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है। लेकिन उसने शानदार अंक हासिल किए और सीधे यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिला।

अपनी पूरी जर्नी में वह अपने सहपाठियों से उम्र में बहुत बड़ा था—जब सहपाठी 18-20 साल के थे वह 30 पार कर चुका था। फिर भी उसने कभी शिकायत नहीं की। 37 साल की उम्र में उसने डिग्री पूरी की और सरकारी स्कूल में टीचर बन गए। अब वह हजारों बच्चों को पढ़ाते हैं…खासकर उन बच्चों को जो दिव्यांग हैं या पढ़ाई में कमजोर हैं। वह हर बच्चे को अपना रियल-लाइफ उदाहरण देते हैं।

इसकी छोटी बहन ने सोशल मीडिया पर भाई की पूरी जर्नी शेयर की। फोटो में वह क्लास में बच्चों को पढ़ाते दिखाई दे रहे हैं। बहन ने लिखा: “लोग कहते थे ये कभी कुछ नहीं कर पाएगा। आज वही लोग मेरे भाई से अपने बच्चों को पढ़वाने आते हैं। 10 बार फेल होने के बाद भी उसने कभी किताबें नहीं छोड़ी। आज 37 साल की उम्र में वह हीरो है।”

पोस्ट पर लाखों लाइक्स और हजारों कमेंट्स आए। लोग उनकी जर्नी और संघर्ष को सराह रहे हैं और प्रेरणा ले रहे हैं।

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