हल्द्वानी: समाज और पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए सेवा से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता है। सेवा करने की बात करता हर कोइ है लेकिन उसे असल जिंदगी का हिस्सा काफी कम लोग बनाते हैं। मनुष्य सेवा के बारे में जब भी बात होगी तब-तब डॉक्टरों का नाम सामने आएगा। आज हम आपकों एक ऐसे परिवार के बारे में बताने जा रहे है, जो पिछले 70 सालों से देवभूमि की सेवा कर रहे है। ये सिलसिला साल 1948 से रानीखेत में शुरू हुआ।
मूल रूप से दाद्मद गांव द्वाराहाट के रहने वालेे गौरी दत्त जोशी कुमाऊं के पहले डॉक्टर थे जो होम्योपैथिक को पहली बार लोगों के बीच लेकर आए। उन्होंने रानीखेत के सुभाष चौक पर जनसेवक होम्योपैथिक नाम की क्लीनिक खोली। कई सालों ने तक उत्तराखण्ड के विभन्न हिस्सों में जाकर लोगों का इलाज किया।
डॉक्टर गौरी दत्त जोशी के छोटे बेटे रामजी जोशी भी इस प्रोफेशन में ही उतर गए। पिता के सेवा भाव के रास्ते पर चलने का फैसला उन्होंने किया। डॉक्टर रामजी जोशी ने रानीखेत के आईएससी से अपनी स्कूल की शिक्षा ग्रहण की। वो बचपन से अपने पिता को गांव के लोगों का इलाज करते हुए देखा करते थे तो उन्होंने अपना लक्ष्य पहले ही तय कर लिया था। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद उन्होंने साल 1990 से अपनी होम्योपैथिक के ज्ञान से देश भर में इलाज करना शुरू किया।
जनसेवक होम्योपैथिक क्लीनिक अल्मोड़ा जिले में अपनी सेवा भावना से लोगों के दिल में जगह बना चुका था। डॉक्टर रामजी जोशी उसके बाद अपने पिता की होम्योपैथिक रिसर्च को आगे बढ़ाया। उन्होंने ऑपरेशन के बिना अपनी दवाओं से लोगों की बीमारियों को दूर किया। परिवार पूरी तरह से सेवा भाव से जुड़ गया था। दूर-दूर से लोग जनसेवक होम्योपैथिक क्लीनिक में इलाज के लिए आने लगे। डॉक्टर रामजी जोशी की तरह साल 1993 में जन्में उनके बेटे सहज जोशी भी जनसेवक होम्योपैथिक क्लीनिक का हिस्सा बन गए।
डॉक्टर सहज जोशी बीएमएस की पढ़ाई कुमाऊं विश्वविद्यालय (चंदोला होम्योपैथिक एंड मेडिकल कॉलेज रुद्रपुर ऊधमसिंह नगर) से पूरी की। उसके बाद छोटी सी उम्र में उन्होंने जनसेवक ट्रस्ट से ही अपनी प्रैक्टिस पूरी की। वो हर मंगलवार रानीखेत में लोगों को अपनी सेवा देते हैं। जनसेवक ट्रस्ट की स्थापना डॉक्टर सहज जोशी के पिता डॉक्टर रामजी जोशी ने की।
रानीखेत में जनसेवक ट्रस्ट को जोशी होम्यो केयर्स के तौर में भी जाने जाना लगा। पिता और पुत्र दोनों ने आधुनिक अप्रोच के साथ लोगों की बीमारी का हल निकालना शुरू किया। लोगों के की सेहत को गंभीरता से लेते हुए पूरा परिवार होम्योपैथिक को सही तरह से लोगों तक पहुंचाने का कार्य शुरू किया। आज अपनी तीन पीढ़ियों की सेवा के लिए पूरे राज्य के अलावा देशभर में जाने जाते हैं। वो गांव में निशुल्क कैंप भी लगाते हैं ताकि निर्धन लोगों को इलाज के लिए परेशान ना हो। इस जोशी परिवार की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा है।