वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे के मौके पर मुखानी स्थित मनसा क्लीनिक मनोचिकित्सक डॉक्टर नेहा शर्मा ने कुछ अहम जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि आज की भागदौड़ भरी व देखादेखी भरी जिंदगी में व्यक्ति में तनाव यानी हाइपरटेंशन होना स्वाभाविक है, परंतु तनाव का व्यक्ति के मन पर हावी होना आज एक गंभीर मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिकल) समस्या बनती जा रही है।
आज हर उम्र का व्यक्ति चाहे वो काम करता हो या स्कूल की पढ़ाई हो सभी जिम्मेदारी के दवाब में है। इन सभी का प्रभाव सबसे अधिक हमारे अवचेतन मन पर पड़ता है, जिसके कारण व्यक्ति के मन में सोते समय भी चिंताएं रहती हैं। तनाव ऐसी मन स्थिति है, जिसमें व्यक्ति परिचित समाज व वातावरण के प्रभाव में आकर दबाव की स्थिति में जीवन व्यतित कर रहा है।
इसका सबसे ज्यादा प्रभाव व्यक्ति के अचेतन मन में होता है, जिसमें उसे ना तो भूख लगती है, ना ही नींद आती है। इसके अलावा चिड़चिड़ापन, गुस्सा, चिंता डर, काम में मन नहीं लगना,घबराहट ,डिप्रैशन ,एंजायटी ,पैनिक अटैक जैसे लक्ष्यण देखे जाते हैं। इस तनाव के चलते ही आत्महत्या के ग्राफ में तेजी से बढोतरी देखी जा रही है।
डॉक्टर नेहा शर्मा ने बताया कि व्यक्ति अपने विचारों को सकारात्मक रूप में बढ़ाकर व अपने को मनोवैज्ञानिक रूप से नियमित कर ले तो तनाव हमारी जिंदगी का हिस्सा नहीं बनेगा। डॉ नेहा ने कुछ मनोवैज्ञानिक तरीकों से हाइपरटेंशन को दूर करने के उपाय भी बताएं
- सकारात्मक सोच रखे
- वास्तविकता पर जीवन व्यतीत करें
- वातावरण के प्रभाव में ना आए
- हर काम को रूचि के साथ करें
- एक बार में एक काम को ही करें
- हमेशा सफलता में विश्वास रखें
- जिंदगी में बदलाव को स्वीकार करें
- आने वाली परिस्थितियों का सकारात्मक रूप से सामना करें
- नियमित रूप से रोज गहरी सांस ले व खुलकर जिये
- खुद से खुद की तारीफ करें व संतुष्ट रहे
- हर काम को आत्मविश्वास से करें
- रिलैक्सेशन वह संगीत सुनें
- खानपान पर ध्यान दें
- जिंदगी के हर पल को खुशी के साथ हैं
- किसी भी तरह की मन की परेशानी होने पर मनोचिकित्सक को दिखाए