ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के चिकित्सकों ने दिल में छेद, आरएसओवी एवं काॅर्डियक वाॅल्व में रिसाव के कारण सांस लेने में कठिनाई का सामना कर रहे एक 30 वर्षीय व्यक्ति की सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है, जिसे जल्दी ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने मरीज की सफलतापूर्वक जटिल सर्जरी करने वाली टीम की प्रशंसा की। प्रो. रवि कांत ने बताया कि हृदय संबंधी विकारों से जुड़े विभिन्न रोगों के समुचित इलाज व प्रबंधन के लिए ऋषिकेश एम्स में कार्डियोलॉजिस्ट, कार्डियक सर्जन, कार्डियक एनेस्थिटिक्स व रेडियोलॉजिस्ट विशेषज्ञों की पूरी टीम उपलब्ध है।
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बता दें चमोली जिले के जोशीमठ निवासी एक व्यक्ति पिछले कई वर्षों से दिल में छेद की समस्या से जूझ रहा था। दिल में छेद होने के कारण उसके काॅर्डियक वाॅल्व में रिसाव भी शुरू हो गया, जिससे उसका हार्ट सही ढंग से कार्य नहीं कर पा रहा था। इस जन्मजात समस्या के कारण उम्र बढ़ने के साथ-साथ व्यक्ति की परेशानी भी लगातार बढ़ने लगी थी। जन्मजात दिल में छेद की वजह से उसे सांस लेने में अत्यधिक कठिनाई होने लगी थी, लिहाजा उसने समस्या से निजात पाने के लिए उत्तराखंड के कई छोटे-बड़े अस्पतालों में अपना उपचार कराया, लेकिन वह स्वस्थ होने के बजाए और अधिक गंभीर स्थिति में आ गया।
जिसके बाद मरीज ने इलाज के लिए एम्स ऋषिकेश की ओर रुख किया, जहां सघन परीक्षण के बाद एम्स के काॅर्डियोलाॅजी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने पाया कि उसके दिल में छेद है, जिससे दिल के वाॅल्व से रिसाव हो रहा है। इस छेद के कारण मरीज के दिल की बड़ी धमनी का एक हिस्सा भी फट गया था, जिसे रप्चर्ड साइनस ऑफ वॉलसाल्वा (आरएसओवी) कहते हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार मरीज के दिल में छेद की समस्या जन्मजात थी, लेकिन समय पर उचित इलाज नहीं मिलने के कारण मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच गया था। जिसके चलते उसे सांस लेने में कठिनाई और धड़कन तेज चलने के कारण वह कोई भी काम नहीं कर पा रहा था। एम्स के कार्डियक थोरेसिक सर्जन डा. अनीश गुप्ता के नेतृत्व में कार्डियोथोरेसिक विभाग की टीम ने इस जटिल हृदय शल्यक्रिया में सफलता हासिल की। इस बाबत डा. गुप्ता ने बताया कि ऑपरेशन का सबसे कठिन हिस्सा मरीज के हृदय वाल्व की मरम्मत करना था। लिहाजा वाल्व की मरम्मत में बेहतद गंभीरता बरती गई।
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