हल्द्वानी: सुशीला तिवारी अस्पकाल हमेशा से ही चर्चाओं का विषय रहा है। अधिकतर मौकों पर अस्पताल पर प्रश्न चिन्ह खड़े उठते देखे गए हैं। अब अस्पताल की जमीनी हालत जानने की जिम्मेदारी खुद स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने उठाई। दरअसल बीते दिनों आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने हल्द्वानी पहुंचे डॉ. धन सिंह रावत ने सुशीला तिवारी अस्पताल में मरीज बनकर वक्त बिताया। हैरानी की बात ये रही कि तीन दिन बाद तक किसी को भनक नहीं लगी।
गौरतलब है कि हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल पर पहाड़ी से लेकर आसपास के सभी शहरों के मरीजों का दबाव रहता है। सरकारी अस्पताल होने के नाते सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि यहां सुविधाएं बेहतर रहें। इसी क्रम में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अस्पताल का रुख किया। आपको बता दें कि सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ कुमाऊं दौरे पर आए आपदा प्रबंधन मंत्री डा. धन सिंह रावत 23 अक्टूबर की रात को अचानक शहर के अस्पतालों का निरीक्षण करने पहुंच गए।
रात साढ़े नौ बजे सुशीला तिवारी अस्पताल में डॉ. धन सिंह रावत ने एक घंटा बिताया। इस दौरान वह सिर दर्द के मरीज बनकर अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने ट्रैक सूट पहना था। इमरजेंसी के बाहर काउंटर से पांच रुपये की पर्ची कटाने के बाद वह करीब 20 मिनट आम मरीज बनकर बेंच में बैठे रहे। फिर इमरजेंसी में डाक्टर को दिखाने के बाद करीब 40 मिनट तक वार्डों में घूमते रहे। वहां की सभी व्यवस्थाएं देखी। मंत्री कब अस्पताल में आए-गए, अस्पताल प्रशासन को भी भनक नहीं लगी।
यहां से निकलकर बेस अस्पताल पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री ने यहां भी करीब 18 मिनट बिताए। इमरजेंसी से लेकर अन्य वार्डों में भी भ्रमण किया। कमियों को ना बताते हुए धन सिंह रावत ने इतना कहा कि जो भी कमियां हैं। उन्हें सुधारा जाएगा। गौरतलब है कि इस समय डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के उपनलकर्मी 55 दिन से हड़ताल पर हैं। अस्पताल में गंदगी बढ़ते जा रही है। संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में जल्द से जल्द अस्पताल प्रशासन व सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे।