
नई दिल्ली: 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति के इस्तीफे की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति के कार्यकाल के बीच में पद खाली होने पर कार्यवाहक उपराष्ट्रपति की कोई व्यवस्था संविधान में नहीं है। ऐसे में एकमात्र विकल्प नए चुनाव कराना ही होता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा इस्तीफा स्वीकार करने और गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचना जारी होते ही चुनाव आयोग ने औपचारिकताएं शुरू कर दीं।
अंतरिम व्यवस्था
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं, इसलिए उनके इस्तीफे के बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह अस्थायी रूप से उच्च सदन की अध्यक्षता कर रहे हैं। यह केवल संसदीय कार्यों तक सीमित है, और उन्हें उपराष्ट्रपति की शक्तियां नहीं मिलतीं।
चुनाव प्रक्रिया
निर्वाचक मंडल और मतदान पद्धति
उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित व मनोनीत सदस्यों वाले निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। केवल सांसद ही मतदान करते हैं, विधायक नहीं। मतदान आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के तहत गुप्त मतदान द्वारा होता है, और सदस्य पार्टी व्हिप से बाध्य नहीं होते।
राष्ट्रपति चुनाव से अंतर
राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सदस्य वोट नहीं देते और राज्य विधानसभाओं की भी भूमिका होती है, जबकि उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल संसद सदस्य वोट करते हैं और मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं।
उम्मीदवार की योग्यता
उम्मीदवार भारत का नागरिक हो, कम से कम 35 वर्ष का हो, राज्यसभा का सदस्य हो और किसी लाभ के पद पर न हो। नामांकन पत्र पर कम से कम 20 प्रस्तावक और 20 समर्थकों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं। कार्यकाल पाँच साल का होता है और कार्यकाल समाप्त होने के बाद उत्तराधिकारी के आने तक पद पर बने रह सकते हैं। कार्यकालों की कोई सीमा नहीं है, और एस. राधाकृष्णन व मोहम्मद हामिद अंसारी ने लगातार दो-दो कार्यकाल पूरे किए हैं।
राष्ट्रपति की भूमिका और संवैधानिक प्रावधान
उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के बाद देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है और राष्ट्रपति पद के उत्तराधिकार में प्रथम स्थान पर है। राष्ट्रपति के अनुपस्थित या अक्षम होने की स्थिति में उपराष्ट्रपति अधिकतम छह महीने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है। इस दौरान वह राज्यसभा सभापति के दायित्व नहीं निभाता।
समय-सीमा और आगे की प्रक्रिया
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के अनुसार, अधिसूचना जारी होने के बाद पूरी चुनाव प्रक्रिया अधिकतम 32 दिनों में पूरी करनी होती है। संविधान का अनुच्छेद 68(2) कहता है कि मध्यावधि चुनाव “यथाशीघ्र” कराए जाएं। संभावना है कि अगस्त के अंतिम सप्ताह तक नया उपराष्ट्रपति पदभार संभाल लेगा।
संख्या का समीकरण
संसद के दोनों सदनों में वर्तमान में कुल 786 सदस्य हैं (जिसमें 6 रिक्तियां शामिल हैं)। 100% मतदान की स्थिति में जीत के लिए 394 वोट आवश्यक होंगे। एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 129 सांसद हैं, यानी कुल 422 वोट — जो आवश्यक बहुमत से काफी अधिक है।






