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ऊर्जा निगम तैयार, उत्तराखंड में 10 प्रतिशत महंगी हो सकती है बिजली


देहरादून: राज्य के लोगों के नए साल के आते आते बिजली विभाग की ओर से झटका लग सकता है। उत्तराखंड में बिजली की दरे करीब 10 प्रतिशत बढ़ सकती हैं। ऊर्जा निगम ने बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार किया है। इस पर अंतिम फैसला यूपीसीएल बोर्ड बैठक में दिया जाएगा। अगर बोर्ड की ओर से प्रस्ताव में मोहर लग जाती है तो इसे मंजूरी के लिए उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग भेजा जाएगा। आयोग जनसुनवाई प्रक्रिया के बाद बिजली की नई दरों के बारे में जानकारी सामने आ पाएगी।बता दें कि हर साल नंवबर अंतिम सप्ताह तक प्रस्ताव भेजा जाता था लेकिन इस बार ऐसे नहीं हुआ।

दरों पर मंथन के सिलसिले के लिए ही 24 दिसंबर को बोर्ड बैठक बुलाई गई है। बोर्ड के सभी सदस्य प्रस्ताव को जांच परख कर फाइनल करेंगे। यूपीसीएल के प्रस्ताव पर आयोग पूरे राज्य में जन सुनवाई करेगा। आम जनता, उद्योगों, कॉमर्शियल समेत सभी पक्षों से आपत्ति-सुझाव पर भी गौर किया जाएगा। इसके बाद मार्च अंतिम सप्ताह में नई बिजली दरों पर अंतिम मुहर लगेगी, जो एक अप्रैल से लागू हो जाएंगी।

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घरेलू श्रेणी के बिजली उपभोक्ताओं को अभी बिजली औसत 4.44 रुपये प्रति यूनिट की दर से मिल रही है। वहीं, कॉमर्शियल बिजली उपभोक्ताओं के लिए यही दर 6.38 रुपये है। एलटी श्रेणी के औद्योगिक उपभोक्ताओं को 6.03 रुपये और एचटी श्रेणी के उपभोक्ताओं को 6.06 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है। 

ऊर्जा निगम सालाना सभी खर्चों की जानकारी प्रस्ताव के रूप में आयोग को उपलब्ध कराता है। इस खर्चे के ब्योरे की आयोग की टीम पड़ताल करती है। यूपीसीएल के गैर जरूरी खर्चों और इंजीनियरों की लापरवाही के कारण पड़ने वाले भार का असर आम जनता के ऊपर नहीं डाला जाता। यही वजह है कि वर्ष 2020-21 के लिए आयोग ने यूपीसीएल के 7.70% बढ़ोतरी के प्रस्ताव को हरी झंड़ी नहीं दी थी। इसी वजह से 2018-19 में घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दरों में फेरबदल नहीं किया था। यही स्थिति वर्ष 2019-20 में भी रही।

इस वर्ष मौजूदा दरों में ही कटौती कर दी गई थी। इसका लाभ राज्य के घरेलू और औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं को दरों में कटौती के रूप मे मिल पाया था। राज्य में बिजली चोरी के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। इसी वजह से बिजली के दाम कम नहीं हो पा रहे हैं। उत्तराखंड में लाइन लॉस के चलते ऊर्जा निगम को 900 करोड़ का घाटा होता है। आंकड़ों की मानें तो यदि साढ़े 13 प्रतिशत लाइनलॉस समाप्त हो तो दरें कम हो सकती है।


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