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किसान ने आपदा में खो दिया था सब, अब बेटियां बनीं IAS और IPS अफसर

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Ishwarya and Sushmita UPSC Success Story: सुनामी में सब कुछ खोया, पर हिम्मत नहीं किसान की दोनों बेटियां बनीं IAS और IPS अफसर

साल 2004…एक साधारण सुबह थी…लेकिन तमिलनाडु के नागरकोइल के एक किसान परिवार के लिए वही दिन सब कुछ बदल गया। समुद्र की उफनती लहरों ने उनकी खेती, घर और जीवन की सारी खुशियाँ निगल लीं। विनाशकारी सुनामी ने परिवार को सिर्फ मलबा और अनिश्चित भविष्य सौंपा। लेकिन इसी मलबे के बीच एक पिता ने अपनी दोनों बेटियों ईश्वर्या और सुष्मिता रामनाथन को एक अमूल्य विरासत दी: शिक्षा का विश्वास और संघर्ष का साहस।

किसान पिता ने बेटियों से कहा कि हमारी जमीन चली गई…लेकिन तुम्हारा ज्ञान कोई नहीं छीन सकता।

यही वाक्य दोनों बहनों की ज़िंदगी की दिशा बन गया। गरीबी, दुःख और तिरस्कार के बीच उन्होंने एक ही लक्ष्य तय किया। यूपीएससी (UPSC Civil Services)। यह केवल परीक्षा पास करने का सपना नहीं था…बल्कि अपने पिता के त्याग और परिवार की खोई हुई इज़्ज़त को फिर से पाने का संकल्प था।

छोटी बहन ईश्वर्या रामनाथन ने साल 2018 में UPSC परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 628 हासिल की थी। उनका चयन रेलवे अकाउंट्स सर्विस (RAS) में हुआ। लेकिन उनका लक्ष्य सिर्फ सरकारी नौकरी नहीं…बल्कि प्रशासनिक सेवा में शीर्ष स्थान पाना था।

इसलिए उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और साल 2019 में अपने दूसरे प्रयास में 47वीं रैंक के साथ IAS अधिकारी बन गईं। वह सिर्फ 22 वर्ष की उम्र में तमिलनाडु कैडर की IAS अधिकारी बनीं।

बड़ी बहन सुष्मिता रामनाथन का सफर और भी कठिन रहा। उन्होंने लगातार कई बार असफलताएँ झेलीं पाँच बार तक परीक्षा पास न कर सकीं। लेकिन छठे प्रयास में साल 2022 में उन्होंने कमाल कर दिखाया। सुष्मिता ने ऑल इंडिया रैंक 528 हासिल कर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में चयन पाया।

जिस परिवार ने कभी आसमान की ओर सिर्फ प्रार्थना की थी आज उसकी बेटियाँ देश के प्रशासनिक तंत्र की ताकत बन चुकी हैं। ईश्वर्या और सुष्मिता की कहानी यह साबित करती है कि प्राकृतिक आपदा, गरीबी या असफलता किसी की मंज़िल नहीं रोक सकती अगर संकल्प सच्चा हो।

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