देहरादूनः प्रदेश की राजधानी का हक मागने वाला गांव गैरसैंण अपनी हक की लड़ाई में काफी पिछे चला गया है, जिसका अहसास उत्तराखण्ड सरकार को अब हो रहा है। यही कारण है कि सरकार ने अब गैरसैंण के विकास पर काम करने का सोच रही है। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन से गैरसैंण का भावनात्मक रिश्ता रहा है। दरअसल उत्तराखण्ड में सबसे ज्यादा रोजगार का सोत्र पर्यटन माना जाता है। पर गैरसैंण के आसपास के क्षेत्रो में भूमि की खरीद पर पाबंदी लगी हुई पर अब इस पाबंदी को हटाने पर सरकार विचार कर रही है, जिसके लिए सरकार ने उच्चस्तरीय समिति को गठित किया है, समिति ने भी इस विषय में संस्कृति की जा रही है।
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राज्य गठन के बाद गैरसैंण महज एक मुद्दा बनकर रह गया है। पिछली कांग्रेस सरकार ने गांव में गैरसैंण विकास प्राधिकरण का गठन किया था। पर यह भी देखा गया कि विकास प्राधिकरण के बाद भी गैरसैंण को एक गांव के रूप में ही देखा गया है अभी तक किसी भी सरकार की ओर से विकास कार्य ना के बराबर हुआ है। इस की वजह गैरसैंण में यह भी हैकि भूमि की खरीद पर पाबंदी लगी है। और किसी भी प्रकार से गैरसैंण में विकास कार्य नहीं हो पाता है। क्षेत्र के विकास की संभावनाओं के संबंध में राज्य सरकार ने मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति गठित की है। सूत्रों की माने तो समिति ने रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री को भी भेज दी है। रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है कि गैरसैंण के विकास में सबसे बड़ा रौड़ा भूमि की खरीद पर लगी पाबंदी है, जिसके कारण पर्यटन स्थानों का विकास रूका है। गैरसैंण में पर्यटन स्थल ना होने से राजस्व को होने वाला नुकशान भी साफ बताया गया है। फिलहाल सरकार की तरफ से विधानसभा भवन का निर्माण किया जा चुका है। विधायकों के आवासों का निर्माण कार्य चल रहा है। इसके साथ ही अधिकारियों व कर्मचारियों के आवासों का निर्माण भी चल रहा है। यह कार्य जल्द पूरा हो जाएगा। साथ ही रामगंगा से झील को विकसित कर पूरे क्षेत्र में जलापूर्ति की व्यवस्था किए जाने पर भी मंथन किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक विकास की जरूरतों और नए निवेश की संभावनाओं को देखते हुए। फिलहाल इस मामले में आम चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद ही एक्सन लिया जायेगा।