हल्द्वानी: सरकारी हॉस्पिटल में डॉक्टरों द्वारा बाहर से दवाई लिखे जाने का मामला फिर से सामने आया है। पिछले दिनों कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने महिला चिकित्सालय हल्द्वानी का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण दौरान आयुक्त ने पाया कि एक महिला अपने 20 माह के बच्चे को ओपीडी जांच कराकर बाहर आयी।
आयुक्त के पूछने पर महिला ने ओपीडी पर्चा दिखाया जिस पर आयरन एवम मल्टी विटामिन सिरप बाजार से खरीदने को महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा लिखा गया था। जिसको आयुक्त ने गम्भीरता से लेते हुये सीएमएस डॉ ऊषा जगंपांगी को उक्त डाक्टर के स्पष्टीकरण के निर्देश दिये। उन्होंने कहा चिकित्सालय में दवा उपलब्ध ना होने पर आम जनमानस को जनऔषधि की दवायें लिखी जाए जिससे आमजन किफायती दाम में दवा खरीदकर अपना उपचार करा सके।
आयुक्त द्वारा जन औषधि केंद्र के निरीक्षण में आयरन सिरप की जानकारी पूछने पर फार्मासिस्ट ने बताया कि शिशु की आयरन सिरप उपलब्ध नहीं है । इस सम्बंध में उन्होंने बाल रोग विशेषज्ञ से कहा कि उपलब्ध सिरप शिशुओं के लिए उपयुक्त है या नहीं, इसकी जानकारी उन्हें उपलब्ध कराई जाए। बाल रोग विशेषज्ञ ने 20 माह के शिशु को बाहर से आर्युवेदिक सिरप लिखी थी जी सम्बंध में आयुक्त ने कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सालय से उक्त सिरप क्यों नहीं दी गई।
स्वस्थ्य विभाग की ओर से व्यवस्थाओं को मजबूत करने की बात तो कही जाती है लेकिन धरातल पर कुछ और ही नजर आ रहा है। सरकारी हॉस्पिटल में दिखाने वाला व्यक्ति को बाहर से दवाएं लेनी पड़ रही है यानी उसे किसी प्रकार की मदद नहीं मिल रही है। सरकारी हॉस्पिटलों में मशीने हैं तो लेकिन संचालित नहीं हो रही है। अब देखना होगा कि उत्तराखंड के स्वस्थ्य ढांचे के दिन कब बदलते हैं।