हल्द्वानी: प्रदूषण मौजूदा वक्त में एक बड़ी चुनौती है। विश्वभर के सभी देश प्रदूषण को रोकने के लिए प्लान बना रहे हैं। कई बार विश्व परिषद में भी प्रदूषण का मामला उठ चुका है। बदलते वक्त के साथ प्रदूषण का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। मोटर वाहनों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है और इसे भी प्रदूषण बढ़ने का कारण माना जाता है। वहीं कूड़ा जलने व अन्य वजह से भी प्रदूषण में इजाफा होता है। वहीं अब इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल भी प्रदूषण को कम करने के लिए हो रहा है। हालांकि महानगरों की तुलने में उत्तराखंड में प्रदूषण कम है और शुद्ध हवा का आन्नद लेने के लिए मैदानी क्षेत्रों से लोग छुट्टी मनाने के लिए देवभूमि पहुंचते हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी जनवरी 2023 की रिपोर्ट में प्रदेश के शहरों के प्रदूषण का लेखाजोखा सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार हल्द्वानी का प्रदूषण प्रदेश में सबसे कम हैं। हल्द्वानी ने ऋषिकेश व अन्य टूरिस्ट स्थानों को भी पीछे छोड़ दिया है।हल्द्वानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 114.69 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूब दर्ज किया गया है। मानकों के लिहाज से ये आंकड़ा औसत ही माना जाता है। शून्य लेकर 50 एक्यूआइ स्तर को सेहत के लिए ठीक माना जाता है, जबकि 51 से लेकर 100 तक एक्यूआइ संतोषजनक, 101 से लेकर 200 तक एक्यूआइ को मध्यम, 201 से लेकर 300 को खराब, 301 से लेकर 400 एक्यूआइ स्तर को बेहद खराब और 401 से 500 तक एक्यूआइ स्तर को बेहद गंभीर माना जाता है।
उत्तराखंड के अन्य बड़े शहरों की बात करें तो ऋषिकेश का एक्यूआई 147.88 हरिद्वार का 133.03 हल्द्वानी का 114.69, देहरादून का 127.23, रुद्रपुर का 119.35 एवं काशीपुर का एक्यूआई 117.75 मापा गया है। सबसे खराब हवा ऋषिकेश की है और पर्यटन के लिहाज से इस पर सुधार होना बेहद जरूरी है। ऋषिकेश को योग नगरी भी कहा जाता है और प्रदूषित हवा में योग करने से स्वास्थ्य और बिगड़ सकता है।