हल्द्वानी: 7 अप्रैल को हर साल वर्ल्ड हेल्थ डे मनाया जाता है। इसका मकसद दुनिया में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं तक ज्यादा से ज्यादा लोगों की पहुंच सुनिश्चित करना है। 7 अप्रैल 1948 को World Health Organisation की स्थापना हुई थी। इसके दो साल बाद 1950 से हर वर्ष स्वास्थ्य दिवस मनाया जाने लगा। दिवस का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करना है। इस बार वर्ल्ड हेल्थ डे की थीम एवरीवन एवरीवेयर हेल्थ फॉर ऑल रखा गया है। इसका मतलब हर व्यक्ति को हर जगह हेल्थ केयर मिले।
वर्ल्ड हेल्थ डे के मौके पर हल्द्वानी मुखानी स्थित मनसा मानसिक क्लीनिक की डॉक्टर नेहा शर्मा का कहना है कि स्वस्थ मन से ही स्वस्थ शरीर होता है। यह बात हर किसी को समझनी चाहिए कि तनाव किसी में भी समस्या का हल नहीं है, बल्कि तनाव कई समस्याओं को जन्मा देता है । डॉक्टर नेहा शर्मा का कहना है कि आजकल समाज में आए दिन होने वाले व्यवहार,नशा मनोशक्ति, व्यक्तिगत विकार या व्यवहारगत समस्या सबसे ज्यादा युवा वर्ग जो कि 16 से 20 वर्ष तक के आयु के युवाओं में है। यह एक गंभीर समाजिक और मनोवैज्ञानिक समस्या बन चुकी है।
जो कि प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बचपन से युवावस्था में जाने पर शारीरिक, मानसिक व संवेगात्मक रूप से बदलाव आते हैं, जिस पर युवा नियंत्रण नहीं कर पाते हैं। इसी तरह से व्यवहारगत समस्याएं उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। बचपन से युवा अवस्था तक पहुंचने में बच्चों को किस का वातावरण, उनके साथ कैसा व्यवहार किए जाए इस पर डॉ नेहा शर्मा ( मनोचिकित्सक) ने कुछ मनोवैज्ञानिक सुझाव व मन को स्वस्थ्य रखने के तरीके बताए, जिससे आने वाले वक्त में समाज में इस तरह के व्यवहारगत समस्याओं को रोका जा सके।
डॉक्टर नेहा शर्मा का कहना है कि-
- बच्चों को उनकी क्षमताओं के बाहर कोई भी आदेश और निर्देश ना दें
- बच्चों से ऐसे कार्य ना कराएं जिसमे उनकी रूचि ना हो
- बच्चों में प्रतियोगी भावना विकसित करें
- बच्चों को उत्साही बनाए
- बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाए
- बच्चों को स्कूली जीवन के अलावा अन्य क्रियाकलापों में व्यस्त रखें
- बच्चों को ज्यादा से ज्यादा समय दें, उनको भावनात्मक रूप में समझे
- बच्चों को अतिरिक्त शक्ति, प्रतिभा व योग्यता का सही उपयोग कराए
- बच्चों को टीवी, मोबाइल का ज्यादा प्रयोग ना करने दें
- बच्चों को सोशल मीडिया का नहीं, सही वास्तविक दुनिया का आभास करवाए