हल्द्वानी: जिलेभर में कहर बनकर बरसी बरस अब थम गई है। हल्द्वानी में मंगलवार शाम से बारिश रुकी हुई है। मगर इधर उधर आने जाने वालों को अभी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर, इंदिरानगर बाइपास स्थित गौला नदी पर बने पुल का बड़ा हिस्सा टूट जाने से खटीमा, चंपावत या पीलीभीत जाने वाले यात्रियों को लंबे रूट से जाना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि तीन दिनों तक लगातार हुई बारिश ने मंगलवार को सबसे रौद्र रूप दिखाया। हल्द्वानी में गौला पुल की 30 मीटर, 25 मीटर गहरी और 12 मीटर चौड़ी सड़क मलबा बनकर नदी में समा गई थी। पुल के निर्माण से लेकर इससे जुड़े हर पहलु पर सवाल खड़े हो रहे हैं। नदी के अंदर पानी का डायवर्जन, अवैध खनन, प्रशासन की लापरवाही पुल के ध्वस्त होने के पीछे का बड़ा कारण मानी जा रही है।
बहरहाल पुल ध्वस्त होने के बाद फौरन एडीएम, नगर आयुक्त, सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम समेत तमाम लोनिवि के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। काफी भीड़ इकठ्ठा हो गई थी। शाम होने तक केंद्रीय रक्षा व पर्यटन मंत्री अजय भट्ट, सीएम धामी, मंत्री धन सिंह रावत समेत पूर्व सीएम हरीश रावत ने क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया। बता दें कि अब खटीमा की तरफ से वाया चोरगलिया आने वाले वाहन और गौलापार व चोरगलिया के लोगों के लिए मुसीबत हो गई है। अब उन्हें काठगोदाम रूट का सहारा लेना पड़ेगा।
जानकारी के अनुसार सबसे पहले उत्तर प्रदेश निर्माण निगम द्वारा बनाए गए गौला पुल के निर्माण में साढ़े नौ करोड़ रुपए लगे थे। जुलाई 2008 में पुल टूटने पर वुडहिल इंफ्रास्टक्चर लिमिटेड ने तीन चरणों में इसका निर्माण किया। पुल पहले खोल दिया गया था, मगर काम पूरा 2013 में हुआ। 364.76 लंबा नया पुल 19.77 करोड़ में बना था। बताया जा रहा है कि अब पुल निर्माण की जिम्मेदारी एनएचआइ की है।
गौरतलब है कि पुल पर खतरा पहले से मंडरा रहा है। गौला पुल के नीचे खूब अवैध खनन होता है। जिसकी वजह से पिलर की स्थिति सही नहीं थी। नदी के अंदर पानी का डायवर्जन पूरी तरह बिगड़ा हुआ था, जिस वजह से सेफ्टी वाल पानी की मार सह नहीं सकी और ध्वस्त हो गई। प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेंद्र शर्मा ने इंजीनियरों संग पुल का निरीक्षण किया।
उन्होंने बताया कि नदी में पानी कम होने पर काम शुरू कर दिया जाएगा। मौसम ने साथ दिया तो 15 दिन के भीतर सेफ्टी वाल तैयार कर सड़क बन जाएगी। बशर्ते प्रशासन का पूरा सहयोग मिले। उन्होंने कहा कि किनारे की तरफ एक पिलर और होना चाहिए था। बता दें कि पहले गौला पुल की सुरक्षा को लेकर 2019-20 में काम होना था, लेकिन बजट ना मिलने और लापरवाही के कारण वह नहीं हो सका था। हाईकोर्ट द्वारा पुल के एक-एक किमी क्षेत्र में खनन के लिए प्रतिबंध लगाने के बावजूद खनन होता है।