हल्द्वानी:उत्तराखंड में विज्ञान का प्रचार और विस्तार तेजी से हो रहा है। मेडिकल साइंस की शिक्षा का स्तर लगातार अच्छा होने से यहां,आने वाले कल में बेहतर और उपयुक्त तरह का इलाज मिलने की संभावनाए भी बढ़ रही हैं।मेडिकल स्डूडेंट्स के लिए एक से एक शैक्षिक संस्थानों का खुलना उत्तराखंड में शिक्षा की बेहतर साख का परिचय दे रहे हैं ।अभी कुछ महीनों पूर्व ही हल्द्वानी के गौलापार में देश के जानामाने पेरामेडिकल साइंस कॉलेज “DPMI”की स्थापना हुई।DPMI इंस्टीट्यूट ऑफ पेरामेडिकल एंड ऐलीड सांइस एक बहुविख्यात पेरामेडिकल कालेज है,जिनकी शाखाएं विभिन्न शहरों में है।
DPMI इंस्टीट्यूट ऑफ पेरामेडिकल एंड ऐलीड सांइस संस्थान में ‘डिप्लोमा ‘स्तर पर पैरा-मेडिसिन के क्षेत्र में पाठ्यक्रम प्रदान कराए जाते हैं। योग्यता के बारे में बात करें तो, किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड / विश्वविद्यालय से विज्ञान धारा के साथ 10 + 2 का स्तर पारित करना होगा।अब सवाल यह उठता है कि पेरामेडिकल है क्या और इसका मेडिकल साइंस में कितना गहरा महत्व है ?एक विज्ञान जो पूर्व-अस्पताल के आपातकालीन सेवाओं से संबंधित है, उसे पैरामेडिकल साइंस कहा जाता है।
इस क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति को एक सहायक चिकित्सक के रूप में संदर्भित किया जाता है।पैरामेडिकल विज्ञान के क्षेत्र में काम के प्रमुख क्षेत्रों में रीढ़ की हड्डी में चोट प्रबंधन, फ्रैक्चर प्रबंधन, प्रसूति, जलने और मूल्यांकन के प्रबंधन, और सामान्य दुर्घटना के दृश्य का मूल्यांकन करते हैं। कुशल परामर्श विशेषज्ञों की बढ़ती मांग ने युवा उम्मीदवारों के लिए कई कैरियर के अवसर खोले हैं। DPMI इंस्टीट्यूट ऑफ पेरामेडिकल एंड ऐलीड सांइस संस्थान हर दृष्टि से एक उम्दा शिक्षा संस्थान है।
कैम्पस में हर तरह की सुविधा उपलब्ध है जिसके अंतर्गत सुसज्जित और विशाल क्लासरूम ,एयर कूल्ड ऑडिटोरियम,हॉस्टल सुविधा, लेबोरेटरी,कंप्यूटर लैब,कैफेटीरीया ट्रेनिंग और प्लेसमेंट सैल, आदि आते हैं। संस्थान शहर से दूर गांव के इलाके में है जहां विद्यार्थियों को पढ़ाई का शान्त माहौल प्राप्त होता है।