हल्द्वानी: क्या बोर्ड परीक्षा के आते ही आपका बच्चा घबरा रहा है। परीक्षा के दौरान घबराना एक स्वाभाविक बात है लेकिन परीक्षा का डर मन में बैठ जाना बच्चे के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। मुखानी स्थित मनसा क्लीनिक की मनोचिकित्सक डॉक्टर नेहा शर्मा ने बताया कि परीक्षा से पहले पैनिक होना और तनाव में रहने वाले छात्रों के कई केस वो ओपीडी के दौरान देखती है।
उन्होंने बताया कि यह सभी लक्ष्यण एग्जामिनेशन एंजाइटी फोबिया के है।जैसे चिड़चिड़ापन, घबराहट के कारण याद किया सब भूल जाना, फेल होने का डर, आत्मविश्वास की कमी, नींद आना सांस फूलना, याद किया हुआ भूल जाना, गलत संगत में पड़ना, गुस्सा करना। इन समस्याओं में आने पर माता पिता को अपने बच्चे को मानसिक रूप से मजबूत करना चाहिए। इसके अलावा हालत को कंट्रोल में रखने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक के द्वारा काउंसलिंग करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि इस तरह के पैनिक अटैक से बचने के लिए रिलेक्शेसन व बिहेवियरल थैरेपी करनी चाहिए।
डॉ नेहा शर्मा ने बताया कि कैसे बच्चों को माता-पिता एग्जाम से पहले फोबिया से दूर रख सकते हैं।
- रिजल्ट की चिंता ना करते हुए पढ़ाई करें और पूर्ण ज्ञान लेने की कोशिश करें
- आत्मविश्वास और टाइम टेबल के अनुसार पड़े
- हर 1 घंटे की पढ़ाई के बाद 15 से 20 मिनट का ब्रेक लें और 10 बार गहरी सांस लें और छोड़ें
- रिवीजन पर ज्यादा ध्यान दें डायग्राम की प्रैक्टिस करें व परिभाषा को लिख कर याद करें
- पूरी रात पढ़ने की कोशिश ना करें,6-8 घंटे की नींद जरूर लें
- मोबाइल और इंटरनेट से दूर रहे
- कमजोर विषय पर ध्यान दे और डाउट होने पर उसे क्लियर करें
- पुराने प्रश्न पत्रों को हल करें। कुछ नहीं आने पर पैनिक ना करें बल्कि उसे ध्यान से पढ़े
- तैयारी के दौरान लिखकर याद करें, इसे परीक्षा में लिखने की स्पीड बढ़ेगी जो बच्चों के लिए अच्छा है।
- रिजल्ट को लेकर दबाव ना बनाएं। प्रतिशत या सीजीपीए को ध्यान न देकर जितनी मेहनत करेंगे मार्कस उतने ही आएंगे। प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करें
- प्री बोर्ड में कम नंबर आने पर बच्चों पर दबाव ना बनाएं। अभिभावक उनको सकारात्मक दिशा में ले जाने का सहयोग करें
- साथ ही शारीरिक व मानसिक रूप से भी स्वस्थ होने पर विशेष ध्यान दें क्योंकि जब हम हैं तब एग्जाम है
- ज्यादा तनाव या एंजायटी पैनिक अटैक होने पर विशेषज्ञ से परामर्श और मनोचिकित्सक थेरेपी करवाएं
केस-1
रश्मि पांडे ( काल्पनिक नाम) उम्र 15 वर्ष 10वीं की छात्रा चिंता के दौरे यानी पैनिक अटैक की समस्या लेकर डॉ नेहा शर्मा के पास पहुंची थी। रश्मि जो की प्री बोर्ड होने के बाद रिजल्ट के दबाव में आकर अचानक घबराहट, तेज सिर दर्द के बाद बेचैनी, कंपन होना, वह एकदम धड़कन बढ़ना ,वह कभी कभी बेहोश हो जाना जैसे लक्षणों के लेकर सभी टेस्ट करवाएं गए जो की नॉर्मल आए। यह लक्षण दिन में तीन-चार बार होने वह परीक्षा में अंकों की चिंता से ग्रस्त है। मनोचिकित्सक टेस्ट के बाद देखा गया कि रश्मि को परीक्षा के डर से पैनिक अटैक आ रहे हैं। उसको सबसे पहले मनोचिकित्सक थेरेपी रिलेक्शेसन व सीबीटी थेरेपी दी व फिर उसकी टॉक थैरेपी के बाद वो बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रही है।
केस-2
राहुल वर्मा ( काल्पनिक नाम) 17 साल (12वीं क्लास)
राहुल के दसवीं में 85% अंक आए थे। अब वो 12वीं की परीक्षा की तैयारी के दौरान उसके मन में बोर्ड में अच्छे अंक आने का भय व फोबिया हो गया। पूरी तैयारी करने के बाद भी एकदम डरा हुआ कंपन,दबाव में रात दिन पढ़ाई करना, याद होने पर भूल जाना, अचानक पसीना आना, घबराहट होना जैसी समस्या लेकर आया। राहुल को फोबिया के कारण एंजाइटी अटैक आ रहे थे। राहुल की काउंसलिंग की गई फिर उसको मनोचिकित्सक थेरेपी दी गई आत्मविश्वास बढ़ाने को कुछ मनोचिकित्सक दिए वह कुछ सेसन दिए गए जिसके बाद वो अब वो बिना की परेशानी के परीक्षा की तैयारी कर रहा है।