हल्द्वानी: ग्रीन सिटी के नाम से जाने जाना वाला हल्द्वानी शहर सफाई के मामले में पीछे हो रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में नगर निगम हल्द्वानी 52 पायदान नीचे लुढ़ककर 281वें स्थान पर आ गया है। राज्य में उसे पिछले बार की तरह चौथा स्थान प्राप्त है। स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 के रिजल्ट शनिवार को जारी हुए और नगर निगम हल्द्वानी को देश में 281वां स्थान प्राप्त हुआ है। 2020 के राष्ट्रीय सर्वेक्षण में हल्द्वानी नगर निगम को देश में 229वां स्थान मिला था और यह आंकड़ा साल 2019 में 350 था। शहर में सफाई व्यवस्था के नाम पर करोड़ो रुपए खर्च होता है लेकिन सुधार दिखता नजर नहीं आ रहा है। कई वॉर्डों में कूड़ा उठाने की व्यवस्था नहीं है, इस लिस्ट में नए वॉर्ड ज्यादा हैं।
इसके अलावा सफाई कर्मचारी और नगर निगम के बीच मतभेद पैदा होते रहते हैं जिस वजह से कई बार सफाई का काम रूक जाता है। कई वॉर्डों में कूड़ा गाड़ी है लेकिन उसी टाइमिंग व वक्त नहीं पता। इसके अलावा कूड़ा उठाने के कार्य में कई दिन भी लग जाते हैं। लोगों को शिकायत रहती है कि गाड़ी वाले रुपए लेते हैं लेकिन आते नहीं है। मजबूर होकर उन्हें कूड़ा नालों में फेंकना पड़ता है जिसका परिणाम बारिश में शहर को भुगतना पड़ता है।
गीला-सूखा कूड़ा अलग-अलग डंप करने की व्यवस्था न होना और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट न बन पाना, इस बार इस बार नगर निगम के लिए बड़ी मायूसी लेकर आया। सफाई व्यवस्था, सिटीजन फीडबैक, रात्रि सफाई, शौचालयों की सफाई को लेकर कोई ठोस व्यवस्था बनाई जाती तो हल्द्वानी का स्वच्छता का ग्राफ अच्छा होता। नगर निगम हल्द्वानी की स्वच्छता रैंकिंग में गिरावट का मुख्य कारण लचर सफाई व्यवस्था और कूड़ा प्रबंधन का अभाव है।
एक कारण ये भी है कि जगह-जगह पर कूड़ा फेकने का सिलसिला जो शुरू होता है वो रूकने का नाम नहीं लेता है। गांधी स्कूल हल्द्वानी के समीप जो जंगल वाला एरिया वह एक तरह से कूड़ा डंपिंग जोन बन गया है। सवाल उठता है तो नगर निगम जनता पर जनता नगर निगम पर आरोप लगाती है। वहीं इन आंकड़ों को सुधारना है तो शहर के लोगों को भी चोरी छिपे रात में सड़कों व खाली प्लॉटों पर कूड़ा फेंकना बंद करना होगा। यह ग्राफ केवल नगर निगम की हार नहीं बल्कि हल्द्वानी वासियों की भी है।