हल्द्वानी:अमित चौधरी: प्रदेश में निकाय चुनाव का काउंट डाउन शुरू हो गया है। राजनीतिक दलों ने दावेदारों के नाम चयन के लिए मंथन शुरू कर दिया है। राज्य में वीआईपी शहर कहलाने वाले हल्द्वानी के मेयर की कुर्सी सबसे ज्यादा हॉट मानी जा रही है। हल्द्वानी नगर निगम की मेयर सीट के समान्य वर्ग की होते ही कांग्रेस पार्टी से प्रबल दावेदार सामने आ कर हल्द्वानी नगर निगम की मेयर सीट के पुख्ता दावेदारी जता रहे हैं। लेकिन इसनें से फाइनल फैसला आलाकमान का होगा जो मेयर उम्मीदवार की घोषणा करेगा।
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कांग्रेस की तरफ से हल्द्वानी में मेयर सीट की दावेदारी की दौड़ में 4 नाम है। इस लिस्ट में पहला नाम नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के सुपुत्र और हल्द्वानी नवीन मण्डी समिति के अध्यक्ष और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य सुमित हृदयेश है। सुमित की समाज के हर वर्ग में एक अच्छी पकड़ बतायी जाती हैं। वो काफी वक्त से नैनीताल जिले की युवा कांग्रेस टीम की कमान संभाल रहे हैं।
वहीं दूसरा नाम ललित जोशी का है। जो मौजूदा वक्त में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव है। वो साल 1998 में हल्द्वानी एम0बी0पी0जी0 कालेज के छात्रसंघ अध्यक्ष रहने के अलावा राज्य आंदोलनकारी 1997 से 2004 तक युथ कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रहे है। इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस की एनडी तिवारी सरकार में दर्जा राज्य मंत्री की कुर्सी संभाली है।
तीसरा नाम 2003 के हल्द्वानी नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर अध्यक्ष का चुनाव जितने वाले हेमन्त बगड़वाल का है। वो निकाय चुनाव में हल्द्वानी से कांग्रेस की तरफ से मेयर के टिकट मिलने के लिए आश्वस्त नजर आ रहे हैं। बता दें कि 2013 में भी कांग्रेस ने हेमन्त बगड़वाल को ही हल्द्वानी मेयर सीट से टिकट दिया था लेकिन उन्हें मौजूदा मेयर डॉ. जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला के सामने हार का सामना करना पड़ा था। उस निकाय चुनाव में कांग्रेस तीसरे पायदान पर रही थी।
दूसरे पायदान पर सपा से मेयर का चुनाव लड़ने वाले हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी रहे थे जो अब कांग्रेस टीम का हिस्सा है उनका नाम भी मेयर उम्मीदवारों में शामिल है।हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी को राजनीति का खासा अनुभव है। उनकी शहर के मुस्लिम वोटरो में अच्छी पकड़ है। उन्होंने जब भी चुनाव लड़ा है विरोधी को बड़ी टक्कर दी है। फिलहाल हल्द्वानी के लोगों और टिकट की उम्मीद में बैठे चारों कांग्रेस नेताओं को हाईकमान की हरी झंडी का इंतजार है देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस निकाय चुनाव में जीत हासिल कर विधानसभा में मिली करारी हार के गम को कम कर पाती है या नहीं ?