हल्द्वानी: कहा जाता है कि बेटे अगर भाग्य से होते हैं तो बेटियां सौभाग्य से होती हैं और बेटियां वैसे भी समय-समय पर माता पिता के लिए अपने प्यार को साबित भी करती आई हैं। हल्द्वानी में भी एक बानगी देखने को मिली है। लीवर की बीमारी से जूझ रहे पिता को बचाने में बेटी ने अपने लीवर का एक हिस्सा दान किया है। मूल रूप से बागेश्वर निवासी बेटी ने नवरात्रि के दिनों में अपने पिता को लीवर डोनेट कर उनकी जान बचाई है।
बता दें कि हल्द्वानी ऊंचापुल शिवपुरम कॉलोनी में रहने वाले विपिन कांडपाल साल 1988 से साल 2009 तक भारतीय सेना में रहे। इसके बाद वीआरएस लेकर उन्होंने 2011 में सिक्योरिटी गार्ड एजेंसी के माध्यम से समाज सेवा का काम शुरू किया। कुछ समय पहले उन्हें पता लगा कि उनका लीवर खराब हो गया है। इसके बाद चिकित्सकों की सलाह पर वो ऋषिकेश एम्स इलाज कराने के लिए गए। वहां से चिकित्सकों ने उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया।
अब जब लीवर डोनर की खोज शुरू हुई तो हर बार निराशा ही परिवार के हाथ लगी। परिवार ने गुरुग्राम मेदांता हॉस्पिटल में विपिन को भर्ती कराया। जहां उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी। जब डोनर नहीं मिला तो विपिन की पत्नी ने अपना लीवर डोनेट करने का मन बनाया। मगर उनका लीवर फैटी निकला। इसके बाद बेटा अंडरवेट निकला तो बड़ी बेटी प्रिया तिवारी ने लीवर डोनेट करने की बात कही। मगर यहां भी बात नहीं बन पाई। ऐसे में विपिन कांडपाल की छोटी बेटी पायल कांडपाल ने पिता को लीवर दान करने की जिम्मेदारी ली।
बता दें कि पायल कांडपाल रोहेलखंड यूनिवर्सिटी से आंखों के डॉक्टर बनने की पढ़ाई कर रही हैं। उनके करियर को देखते हुए रिश्तेदारों का भी कहना था कि बेटी को लीवर डोनेट नहीं करना चाहिए। मगर पिता के लिए पायल का प्यार ही था, कि उन्होंने किसी की एक न सुनी और अपना 60 प्रतिशत लीवर पिता को बचाने के लिए डोनेट कर दिया। डॉक्टर की माने तो बेटी मानसिक रूप से मजबूत है और उसकी रिकवरी अच्छी होगी। बता दें कि यह मिसाल पूरे उत्तराखंड में चर्चा का केंद्र बनी हुई है।