हल्द्वानी: दांत किसी भी व्यक्ति की स्माइल के लिए काफी बड़ा रोल अदा करते हैं, लेकिन काफा कम ही लोग ऐसे है जो अपने दांतों का पूर्ण तरीके से ध्यान रखते हैं। दांतों को सुरक्षित व इलाज के लिए कई मॉर्डन तकनीक सामने आई है जिससे दांतों को पहले जैसा बनाया जा सकता है। हल्द्वानी स्थित प्रकाश डेंटल क्लीनिक के डॉक्टर अनुराग अग्रवाल बताते हैं कि भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों ने अपनी सेहत के प्रति ध्यान देना बंद कर दिया है, जिसमें दांत भी है। उन्होंने बताया कि इतने भी प्रकार की तकनीक सामने क्यों ना आ जाए लेकिन कुदरती दांतों की जगह कोई नहीं ले सकता है, इसलिए दांतों को सेहतपूर्ण रखने की कोशिश करनी चाहिए।
हल्द्वानी स्थित प्रकाश डेंटल क्लीनिक के डॉक्टर अनुराग अग्रवाल डेंटल वेनीर (teeth or dental veneers) तकनीक के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इस तकनीक की मदद से उबड़ खाबड़ और छोटे बड़े और टूटे दांतों के इलाज में भी किया जाता है। डेंटल वेनीर कई तरह के होते हैं और उनके अलग-अलग फायदे और नुकसान भी हैं।
डेंटल वेनीर पतली, वेफर की तरह शेल्स होती है जिनका इस्तेमाल आगे के दांतों को ढकने के लिए किया जाता है। शेल्स कस्टम होती हैं जिससे दांतों के रंग जैसा बनाया जाता है। इससे ना केवल दांतों का कलर चेंज हो जाता है बल्कि साइज़ और लेंथ में भी सुधार होता है। डॉक्टर के अनुसार, इसका इस्तेमाल किसी चोट की वजह से टूटे दांत का मेकओवर करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल दांतों के बीच गैप को कम करने, दांतों को समान रंग, शेप और समानता देने के लिए किया जाता है।
कॉम्पोजिट टीथ वेनीर के मामले में इसे सीधे तौर पर मुंह में दांतों के ऊपर लगाया जाता है। जबकि पॉर्सलिन के मामले में वेनीर को राल सीमेंट के जरिए लगाया जाता है। इनमें सरैमिक (ceramic), ल्युमिनियर (lumineers), दी विनिक (Da Vinic), मैक (mac) और एक्रिलिक (acrylic) आदि मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है।