हल्द्वानीः उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राजनीति की बात होती है तो सबसे पहला नाम दोनो राज्यों के मुख्यमंत्री रहे स्व एनडी तिवारी का ही होगा। लगभग अपने जीवन में हर मुकाम को पाने वाले स्व तिवारी के मन में एक राज रह गया था जो अब हर एक व्यक्ति जानता है। स्व तिवारी का सपना एक बार देश का प्रधानमंत्री बनना था। यही नहीं स्व तिवारी को एक बार मौका भी मिला। 1991 में जब राजीव गांधी की मृत्यु हो गई थी तब स्व तिवारी का नाम सबसे आगे आया इस की वजह स्व तिवारी का राजनैतिक कद था। उस समय प्रधानमंत्री की चाह में स्व तिवारी ने नैनीताल लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा , पर वह हार गये ।इतना बड़ा राजनैतिक कद होने के बावजूद स्व तिवारी की हार का कारण कोई समझ नहीं पाया। पर कुछ समय बाद स्व एनडी तिवारी ने अपनी हार का कारण बताया जो शायद ही किसी को पता होगा। स्व तिवारी ने अपनी हार का करण अभिनेता दिलीप कुमार को बताया था। उनका कहना था की दिलीप कुमार ही उनकी हार का कारण थे, दिलीप कुमार ने तिवारी के लिए बहेड़ी क्षेत्र में चुनाव प्रचार किया था, और वही से तिवारी को सबसे कम वोट मिले थे। इस बात की पुष्टी स्व एनडी तिवारी ने खुद करी थी।उस समय तिवारी के पास प्रधानमंत्री बनने का सबसे बड़ा मौका था। तिवारी के खिलाफ पहली बार भाजपा से बलराज पासी ने दावेदारी की थी पर बलराज पासी ने तिवारी को हरा कर नैनीताल लोकसभा सीट पर कब्जा कर लिया। तिवारी ने इस हार के बाद भी हार नहीं मानी और साल 2002 से 2007 तक उत्तराखण्ड के तीसरे मुख्यमंत्री रहे। साल 2007-09 के दौरान वो आंध्र प्रदेश के गवर्नर भी रहे। तिवारी ने अपना राजनीतिक सफ़र प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से शुरू किया था, पर बाद में वो कांग्रेस से जुड़ गए. जनवरी 2017 में उन्होंने अपने बेटे रोहित शेखर के साथ भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था।