नई दिल्लीः हर एक व्यक्ति एक जैसा नहीं होता। यह हर कोई बोलता है, क्या हमने पाता किया है कि किसी व्यक्ति की क्या मजबूरी है। हमने तो नहीं पर लखनऊ के शरद पटेल ने यह पाता भी किया और इस विषय में काम भी किया। शरद पटेल ने 100 से भी ज्यादा भिखारियों की जिंदगी बदलने का काम किया है। हम तो किसी भिखारी या जरूरत मंद को पैसे देकर या खाना खिलाकर चले जाते है पर उस के बाद वह व्यक्ति क्या करता है यह कोई नहीं सोचता ।
शरद पटेल को यह ख्याल तक आया जब उसने किसी व्यक्ति को एक टाइम का खाना खिलाया। घर जाकर शरद ने सोचा की एक बार तो मैने खाना खिला दिया पर क्या शाम को या दूसरे दिन उस व्यक्ति को खाना नसीब होगा। यह शरद के मन में सबसे बड़ा प्रश्न बनकर उतरा, जिसका उत्तर भी शरद ने खोजा। शरद ने भिख मांग रहे भिखारियों को रोजगार देने की सोची और उस पर काम भी किया । 2014 में अपने साथी महेंद्र और जयदीप के साथ मिलकर शरद ने भिखारियों के कल्याण के लिए काम करना शुरू किया। इन्होंने मुहिम का नाम रखा भिक्षावृत्ति मुक्ति अभियान और शरद इसके संयोजक बने। बाद में इन्होंने ‘बदलाव’ संस्था की नींव रखी। शरद बताते हैं कि उन्होंने एक साल तक भिखारियों के साथ बेहतर संबंध बनाने पर काम किया।इस मुहिम में शरद ने सबसे पहले भिखारियों की एक लिस्ट बनाकर डाटा जमा किया। शरद के लिए सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि हर दूसरा भिखारी नशे का आदि था जोकि नशे से अपनी भूख को मिटाता था, पर शरद को दो व्यक्ति मिले जो भिख मांगकर नहीं मेहनत कर कमाना चाहते थे।जिन्हे देख 9 और लोग जुड़े और आज शरद के साथ करीब 129 लोग काम कर रहे है, जिसमें 55 वयस्क भिखारी छोटा-मोटा रोजगार कर रहे हैं। इनमें से 74 अवयस्क भिखारियों को लखनऊ के ही दुबग्गा इलाके में ‘बदलाव पाठशाला’ में पढ़ाया जा रहा है ताकि वे बेहतर नागरिक बन सके। भीख मांगना छोड़ चुके इन लोगों को वापस पुराने धंधे में जाने से रोकना और नशे से दूर रखना बड़ी चुनौती है। इसके लिए उन्हें पूरे वक्त व्यस्त रखा जाता है। यहां सभी के लिए पूरे दिन का रुटीन चार्ट बना हुआ है और सबके काम बंटे हैं। सुबह उठकर कुछ लोग सफाई करते हैं, कुछ दूध वगैरह लेने जाते हैं। चाय, नाश्ता बनाते हैं और फिर सब काम पर निकल जाते हैं। वे फिर शाम में आकर शेल्टर होम के काम देखते हैं, आराम करते हैं और रात में खाने के बाद इनकी रोज चौपाल लगती है। इस चौपाल में इन्हें समाज की दूसरी समस्याओं और समाधान से रूबरू करवाया जाता है। रविवार को ये लोग किसी सामाजिक समस्या पर काम करते हैं। शरद की टीम ने भिखारियों से बात करके समाज की 12 समस्याएं चिह्नित की हैं जिन पर पूरे साल काम होगा। हर महीने एक समस्या पर फोकस किया जाएगा। इस सिलसिले में पिछले दिनों इन्होंने हर संडे गोमती सफाई का अभियान चलाया था।