नई दिल्लीः उत्तरप्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट अब प्रधानमंत्री के नाम से नहीं कुछ नये रिकॉर्ड से चर्चाओं में आ गई है। नामांकन के अंतिम दिन प्रत्याशियों ने भीड़ लगी दी। यह भीड़ जुलूस की नहीं प्रत्याशियों के नामांकन की थी। लोकसभा सीट वाराणसी के लिए नामांकन का अंतिम दिन दो रिकॉर्ड बने। देर रात तक प्रत्याशियों द्वारा अपने नामांकन पर्चे दाखिल किए गए। इस दौरान इस संसदीय सीट के इतिहास में दो रिकार्ड भी टूटे। पहला रिकॉर्ड तो यह कि रात के 11.15 बजे तक पर्चे दाखिल होते रहे। सोमवार तीन बजे तक नामांकन दाखिल करने की डेडलाइन थी।
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इस समय तक जिन लोगों ने अपनी आमद दर्ज करा ली थी, उन्हें नामांकन दाखिल करने की अनुमति दे दी गई थी। प्रत्याशियों की भीड़ को देखते हुए उनके नामंकन रात 11.15 बजे तक दाखिल किए गए। दूसरा रिकॉर्ड यह बना कि अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा 102 लोगों ने अपनी उम्मीदवारी के लिए नामांकन दाखिल किए। इससे पहले साल 2014 में वाराणसी से जब पहली बार नरेन्द्र मोदी ने अपना नामांकन दाखिल किया था तो उनके मुकाबले के लिए 62 लोगों ने पर्चा दाखिल किया था।नामांकन पत्रों की जांच के बाद केवल 41 प्रत्याशी ही मैदान में रह गए थे, लेकिन इस बार देश के अलग-अलग इलाकों से लोग पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए वाराणसी पहुंचे हैं। इसके चलते जिला मुख्यालय में देर रात तक निर्वाचन प्रक्रिया में लगे अधिकारी-कर्मचारी फॉर्मों को सहेजने में लगे रहे।मंगलवार को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 2 मई तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। इसके बाद ही तय होगा कि कितने प्रत्याशी वोटिंग के लिए मैदान में रहेंगे। लोकसभा सामान्य निर्वाचन-2019 के अन्तर्गत वाराणसी लोकसभा सीट के लिये नामाकंन के छठें एवं अन्तिम दिन सोमवार को नामाकंन करने वालों का ताता लगा रहा। रात्रि सवा ग्यारह बजे तक नामांकन हुआ।