नई दिल्लीःराष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए भारत सरकार ने 10 सेंट्रल एजेंसियों को देश के सभी कंप्यूटर्स की मॉनिटरिंग और इंटरसेप्ट करने की क्षमता दे दी है। अब ये एजेंसियां न सिर्फ आपके ईमेल बल्कि आपके कंप्यूटर में रखे हर तरह के डेटा की निगरानी कर सकती हैं। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन आरटीआई से हुए खुलासे को देखा जाए तो पता चलता है कि यूपीए-2 सरकार के दौरान हर महीने केंद्र सरकार की तरफ से 7500 से 9000 फोन कॉल्स के इंटरसेप्शन के आदेश जारी किए जाते थे। इसके अलावा 500 ईमेल्स की भी निगरानी की जाती थी। यानी हर दिन 300 फोन कॉल्स और 20 ईमेल्स इंटरसेप्ट किए जाते थे।
2013 में यूपीए सरकार ने एक आरटीआई का जवाब देते हुए बताया था कि 10 एजेंसियों को इंटरसेप्शन का अधिकार दिया गया है। पुरानी आरटीआई में दिए गए इस जवाब को मोदी सरकार के लिए राहत की बात मानी जा रही है। ऐसा बताया जा रहा है कि मुंबई बम हमले के बाद यूपीए सरकार ने इस तरह के आदेश जारी किए थे।
6 अगस्त 2013 को प्रसेनजीत मंडल के आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने बताया था कि केंद्र सरकार की तरफ से हर महीने औसतन 7500-9000 फोन कॉल्स इंटरसेप्ट करने के आदेश जारी किया गया था। इसके अलावा हर महीने औसतन 300 से 500 ईमेल्स के इंटरसेप्शन के आदेश दिए जाते हैं।
एजेंसियां निगरानी कर सकती हैं केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर हमला कर दिया था। राहुल गांधी ने कहा था कि मोदी इस देश को पुलिस स्टेट में बदलना चाहते हैं। इसका जवाब देते हुए अमित शाह ने राहुल की चुटकी लेते हुए कहा था कि क्या डर है जो छुपा रहे हो। दूसरे कई नेताओं ने इसे व्यक्तिगत आजादी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया था।
लेकिन पुरानी आरटीआई के जवाब सामने आने से यह स्पष्ट हो गया है कि निगरानी कोई नई बात नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर यह पहले से की जाती रही है।