हल्द्वानीः 16 जून 2013 को केदारनाथ में आई आपदा हिमालय के इतिहास में सबसे भयानक त्रासदी थी। केदारनाथ में आई इस जल प्रलय ने हजारों जिंदगियां लीं थी। केदारनाथ पर कुदरत ने ऐसा केहर मचाया जिसकी भरपाई आजतक नहीं हो पाई है। जिस जिस ने मौत के उस भयानक मंजर को देखा वह आज भी उसे याद करके कांप उठता है। आपदा को आये हुए भले ही 6 साल बीत चुके हैं। लेकिन उस दर्दनाक हादसे से गुजरे लोगो की आप बीती सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते है। केदारनाथ और प्रदेश के सभी पहाड़ी जिलों रूद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ की करीब नौ लाख आबादी आपदा की चपेट में आई थी। इसके वजह से सड़कें, पुल और संपर्क मार्ग टूट गए थे।
बता दें कि आपदा से 13 नेशनल हाईवे, 35 स्टेट हाईवे, 2385 जिला व ग्रामीण सड़कें व पैदल मार्ग और 172 बड़े और छोटे पुल बाढ़, भूस्खलन और भारी बारिश में नष्ट हो गए थे। आपदा के दौरान 4200 से ज्यादा गांवों से पूरी तरह संपर्क टूट गया था। 2141 भवन पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे। 11759 भवनों को नुकसान पहुंचा था। तीन हजार से ज्यादा भवनों को सामान्य हानि हुई थी। 995 सरकारी भवन जिनमें स्कूल भवन भी शामिल थे, कहां गायब हो गए कुछ पता नी चला। 11091 मवेशी मारे गए। वहीं 1308.96 हेक्टेयर कृषि भूमि बह गई थी।
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आपदा के छह साल बाद भी केदारनाथ में जल प्रलय के समय के नर कंकाल बरामद हो रहे हैं। इस जलप्रलय में करीब 4435 लोग मारे गए या लापता हो गए। इनमें 991 मृतक उत्तराखंड के थे, जिनमें बड़ी संख्या केदारनाथ धाम में पूजा-पाठ और होटल के कारोबार से जुड़े लोगों की थी। प्रशासन ने 197 लोगों के शव बरामद किए। सर्च ऑपरेशन में करीब 555 कंकाल खोजे गए थे, जिनमें से डीएनए जांच के बाद सिर्फ 186 की पहचान हो सकी थी। सर्च ऑपरेशन के दौरान एयरफोर्स और एनडीआरएफ के 18 जवान और 26 सरकारी कर्मचारियों की भी मौत हो गई थी। बता दें कि आज तक 3187 श्रद्धालुओं का नामोंनिशां तक नहीं मिल पाया है।