देहरादूनः उत्तराखंड का हर नागरीक अपनी सादगी और सरलता के लिए देश ही नहीं विश्व में विख्यात है। जहाँ एक ओर सभी नेता और पार्टियां सत्ता में आने को बेताब रहती है। जिसमें हमने देखा है कि कई नेताओं को सत्ता का ऐसा लालच होता है जो इस के योग भी नहीं होते पर उनकी इच्छा जरूर होती है। इसी बीच एक ऐसा जननायक भी सामने आया है। जिसने सभी सत्त के लालचियों के लिए एक मिसाल बनने का काम किया। एक बिना पढ़ा लिखा आदमी अपनी साफगोई और इच्छाशक्ति से कैसे सबके बीच चर्चा का विषय बनने के साथ ही व्यवस्था को चुनौती दे सकता है इसकी मिशाल ग्राम प्रधान गिरीश चन्द्र ने पेश की है।मामला ताड़ीखेत ब्लॉक के पांडेकोटा गांव का है। दअरसल गांव के प्रधान गिरीश चन्द्र ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने का कारण जानकर आप स्तब्ध तो हो ही जाओ गये और साथ ही गिरीश की सरलता के भी कायल हो जाएंगे। गिरीश ने महज इस इसलिए इस्तीफा दे दिया क्योंकि वो पूरी तरह से निरक्षर है, और दस्तखत तक नहीं कर सकता है। इसके साथ ही उसने व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए आरोप लगाया है कि उसे बस्ता और मुहर तक नहीं दिया गया है। ऐसे में जो ग्रामीण अपने कागजात में मुहर लगवाने आते हैं उन्हें निराश लौटना पड़ता है। दरअसल, पांडेकोटा ग्राम पंचायत के प्रधान विमल बिष्ट का नवंबर 2018 में निधन हो गया था।मुखिया का पद रिक्त होने पर अधिसूचना जारी हुई। नवंबर आखिर में ग्रामीणों ने एक राय होकर गांव के ही गिरीश चंद्र को निर्विरोध प्रधान घोषित कर दिया। गांव की राजनीति व पंचायती राज से बिल्कुल अनजान गिरीश ने तब बागडोर संभाल भी ली। कुछ दिन तक तो सब ठीक ठाक चला। मगर बात जब ग्रामीण विकास, समस्याओं के समाधान कराने की आई तो प्रधान गिरीश के सामने मुश्किलों का पहाडृ खड़ा हो गया। नतीजतन, दिसंबर व जनवरी का कार्यकाल जैसे-तैसे चलाने के बाद हैरान परेशान प्रधान ने खुद को अयोग्य करार देते हुए बुधवार को खंड विकास अधिकारी बालम सिंह बिष्ट को अपना इस्तीफा सौंप दिया। कहा कि वह गरीब श्रमिक है और प्रधान का दायित्व संभालने में पूरी तरह से असमर्थ है, ऐसे में उसका इस्तीफा स्वीकार किया जाएग।