हल्द्वानी:जिंदगी कई मोड देती है। कुछ मोड ऐसे होते है जो पूरी जिंदगी बदल देते है। हर मोड में दोस्ती नाम का रिश्ता बड़ी कड़ी साबित होता है, जो नकारात्मक परिस्थितियों से लड़ने में मदद करता है। हल्द्वानी नवाबी रोड स्थित नॉलेज जंक्शन के संस्थापक भुवन भट्ट के साथ जून के महीने में जो हुआ था, उसने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी। बुधवार को तीन महीने बाद मुश्किल परिस्तिथियों से लड़कर भवुन भट्ट जब अपनी कोचिंग पहुंचे तो उनके बच्चे भावुक हो उठे।
आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी…
कई क़र्ज़ चुकाना बाकी हैं….
तेरी दौड़ भागते-भागते मैं थक गया हूं,
दम तो लेने दे…
कुछ दर्द मिटाने बाकी हैं…
मेरे अपने पीछे छूट गए,
कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी हैं…
अपनों को खोने और ज़िन्दगी से जूझने के बाद कुछ ऐसे ही फर्ज़ को निभाने नॉलेज जंक्शन के संस्थापक भुवन भट्ट शिक्षक दिवस के मौके पर अपने बच्चों से मिलने जब कोचिंग सेंटर पहुंचे तो नम आंखों ने उनका तहे दिल से स्वागत किया। ये लम्हा ऐसा था जहां ना भुवन भट्ट खुद समझ पा रहे थे कि उन्हें कहना क्या है और ना ही उनके बच्चों को समझ आया कि वो अपने प्रिय शिक्षक का स्वागत कैसे करें।
तीन महीने पहले हुए हादसे ने शिक्षक भुवन भट्ट की ज़िन्दगी बदल दी, लेकिन रिश्तों को हमेशा तरजीह देने वाले भुवन भट्ट को आखिर उन्हीं रिश्तों ने फिर से उबारा भी। यारों के यार कहे जाने वाले शिक्षक भुवन ने अपनी ज़िन्दगी में जो कुछ भी सहन किया वो किसी भी इंसान को अंदर से तोड़ने वाला था लेकिन उन्हीं यारियों के चलते वो ना सिर्फ अपने पैरों पर खड़े हो सके बल्कि अपनी ज़िन्दगी में वापस लौटने की हिम्मत भी जुटा सके। किसी ने सच ही कहा है कि यारियां सच्ची हों तो कोई गम पास नहीं भटकता। लेकिन गम के सागर में डूबे शिक्षक भट्ट के लिए अब अपने यार-दोस्त ही उनकी ज़िन्दगी जीने की असल वजह हैं।
नॉलेज जंक्शन के छात्रों ने अपने आदर्श शिक्षक का स्वागत जोरशोर से किया। ये शिक्षक भवुन भट्ट के आदर्श और चरित्र ही था जिसने एक कोचिंग को परिवार के रिश्ते में बाधा हुआ था। जिस रिश्ते को अंजानी शुरुआत मिली थी वो खून से बढ़ा बनकर सामने आया। शिक्षक दिवस के मौके पर छात्रों ने अपनी शिक्षक भुवन भट्ट के लिए समारोह का आयोजन किया जिसकी थीम दोस्ती पर ही आधारित थी। अपने सर को कोचिंग में पहुंचा देख सभी भावुक हो उठे। उन्होंने सर से केक भी कटवाया।
सहायक शिक्षक सौरभ उप्रेती बताते है कि पिछले तीन महीने नॉलेज जंक्शन परिवार के लिए चुनौती भरे रहे हैं। भवुन भट्ट जी ने अपने अपने दोस्तो व छात्रों को अपने परिवार के सदस्यों की तरह माना। उनका चरित्र व बातें सामने वाले को उनका मुरीद कर देती थी।
दोस्ती कैसे निभाई जाती है उन्होंने ही हमें सिखाया और उनकी विश्वसनीय मित्र मंडली ने इन चुनौतीपूरण परिस्थितियों में वयवहारिक रूप से यारी को निभाते हुए भुवन सर का हाथ थामे रखा। जिस घटना का सामना हम लोगों ने किया है वो पीडित को तोड़कर रख देता है लेकिन आज भवुन सर खुद चलकर कोचिंग पहुंचे जो बताता है कि जिंदगी में सच्ची दोतरफा दोस्ती दोनों पक्षों के लिए संजीवनी का काम करती है।