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यूं ही नही कहते हैं नैनीताल जिले को City of love,विदेशी नागरिकों की कर रहा है मदद


यूं ही नही कहते हैं नैनीताल जिले को City of love,विदेशी नागरिकों की कर रहा है मदद

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। कोरोना वायरस ने लाखों लोगों की जान ले ली है। इस माहामारी को हराने के लिए कई देशों ने लॉकडाउन कर रखा है। वहीं लॉकडाउन के वजह से कई लोग ऐसे हैं जो दूसरे देशों में फंसे हुए हैं। लेकिन बाहर देशों में कोरोना का खतरा ज्यादा होने के वजह से वे अब अपने दस नहीं लौटना चाहते। माहामारी के वजह से विदेशी पर्यटक काफी डरे हुए हैं। उत्तराखंड की बात करें तो यहां और राज्यों के मुकाबले कोरोना के मामले ज्यादा ना होने के कारण विदेशी नागरिक अपने आप को यहां ज्यादा महफूस महसूस समझ रहें हैं। उत्तराखंड हमेशा से ही विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद रहा है। लेकिन सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक नैनीताल जिले का सुदंरता को निहारने आते हैं।

बता दें कि टूरिस्ट वीजा पर आए 56 विदेशी नागरिक लॉकडाउन के चलते जिले में फंसे हैं। इनमें दो लोगों को मोतीनगर में क्वारंटीन किया गया है। लेकिन खास बात ये है कि कोरोना के चलते ज्यादातर विदेशी अपने देश को अभी नहीं लौटना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि 27 विदेशी नागरिक पहले से नैनीताल जिले में पंजीकरण कराने के बाद हैड़ाखान समेत अन्य स्थानों पर कई महीनों से रह रहे हैं। लॉकडाउन के पहले जिले में 99 विदेशी नागरिक टूरिस्ट वीजा पर आए थे। लेकिन इनमें से 43 विदेशी नागरिक अपने वतन वापस लौट गए।

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बता दें कि जिले में ठहरे हुए विदेशी नागरिकों ने जिले से बाहर जाने के लिए दूतावास में आवेदन भी नहीं किया है। आपकों बता दें कि कोई भी विदेशी लगातार देश में 180 दिन से अधिक नहीं रह सकता है। विदेशी नागदरिक देश में अधिक समय तक रहने के लिए बीच में नेपाल और भूटान चले जाते हैं। फिर लौटकर देश में भ्रमण करने के लिए आते हैं। वीजा की अवधि तक विदेशी जिले में रह सकते हैं। अधिक समय तक रुकने के लिए विदेशियों को अपने दूतावास से संपर्क करना होगा।

आइए आपकों बताते हैं कि किस-किस देश के नागरिक हैं जिले में

अमेरिका और इटली के 9-9, जर्मनी के 5, रुस के 7, स्पेन के 3, अर्जेंटीना और सर्विया के 2-2,ताइवान, ब्रिटेन, फ्रांस, कोलंबिया, डेनमार्क, स्वीटजरलैंड, बेल्जियम, बुलगारिया, पुर्तगाल, कजाकिस्तान और यूक्रेन के 1-1 नागरिक।विदेशी नागरिक खाफी खुश हैं क्योंकि इस माहामारी और लॉकडाउन के बीच उन्हें बड़ी राहत मिली है।


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