हल्द्वानीः डायनासोर का अस्तित्व करीबन 20 करोड़ साल पहले का रहा है। डायनासोर एक विशाल प्रजाती थी। कुछ डायनासोर काफी बड़े आकार के होते थे और कुछ डायनासोर छोटे आकार के। कुछ डायनोसार काफी खतरनाक होते थे। हमेशा से ही ये प्रजाती एक महत्वपूर्ण विषय रही है। लोग इस प्रजाती के बारे में जानने के लिए काफी उत्सुक रहते हैं। वहीं देश विदेश के कई शहरों में डायनासोर के बारे में जानने के लिए पार्क बनाए गए हैं। और अब हल्द्वानी में देश का पहला वानस्पतिक जुरासिक पार्क बनाया गया है। जुरासिक काल में डायनासोर किन वनस्पतियों को खाकर जीवित रहे इसे जानने के लिए हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र ने देश का पहला वानस्पतिक जुरासिक पार्क तैयार किया है।
बता दें कि इस जुरासिक पार्क में जुरासिक काल की वह वनस्पतियां देखने को मिलेंगी जो डायनासोर के भोजन में शामिल हुआ करती थी। वन अनुसंधान केंद्र की ओर से किए गए शोध के अनुसार जुरासिक काल में पौधों का जीवन ब्रायोफाइट्स से विकसित हुआ। यह वनस्पति जगत का ऐसा वर्ग है जिसमें संवहनी ऊतक की कमी थी और वह नम क्षेत्रों तक ही सीमित थे। इस दौरान पौधों के प्रजनन की एक नई विधि विकसित हुई। शंकुधारी पौधे भी जुरासिक काल में ही विकसित हुए और जुरासिक काल के अंत तक मौजूद रहे। इन्हीं वनस्पतियों को खाकर डायनासोर लंबे समय तक पृथ्वी पर जीवित रहे और उन्होने राज किया।
जुरासिक काल की ऐसी ही सात तरह की वनस्पतियों को वन अनुसंधान केंद्र ने रिसर्च के बाद जुरासिक पार्क में संरक्षित किया है। इसमें लिवरवॉटस, मॉस, गिंको, फर्न, साइकस, पाइन और आर्किड की प्रजाति शामिल है। फर्न और गिंको शुरुआती जुरासिक काल के प्रमुख पौधे थे। शाकाहारी और मांसाहारी डायनासोर के तीन पुतले भी पार्क में लगाए हैं। अप्रैल से इस पार्क को पब्लिक के लिए खोले जाने की संभावना है। इस पार्क के खुलने के बाद लोगों को डायनासोर प्रजाती के बारे में अधिक जानने का मौका मिलेगा।