हल्द्वानी: अक्सर हम बड़े बुज़ुर्गों को यह कहते हुए सुनते हैं कि अगर इंसान में हिम्मत हो तो वह पहाड़ के सीने से भी पानी निकाल लेता है। इस पंक्ति को सच करने का काम हल्द्वानी शहर के तीन युवा कलाकार कर रहे हैं। देवभूमि उत्तराखंड हर लिहाज़ से समृद्ध भूमि रही है। लेकिन वातावरण और इच्छाशक्ति की कमी के कारण यहां की संस्कृति, सभ्यता, पर्यटन का उस तरह से प्रचार प्रसार नहीं हो सका, जिस तरह होना चाहिए था। इसी कारण आज राज्य का सबसे बड़ा मुद्दा पलायन है। कला, संगीत, साहित्य का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। चूंकि राज्य में अवसर नहीं मिलते इसलिए युवा दिल्ली और मुंबई की फ़िल्म, टीवी, रंगमंच इंडस्ट्री की ओर पलायन करता है। कम से कम उसे वहां कलाकारी के साथ रोटी का भरोसा रहता है। लेकिन इसके बावजूद उसका मन तो अपने घर, अपने प्रदेश, अपने पहाड़ में ही लगा रहता है।
कुछ ऐसा ही महसूस किया हल्द्वानी शहर के तीन युवाओं ने और फ़ैसला किया कि वह अपनी क्षमता अनुसार एक ऐसा मंच तैयार करेंगे, जहां शहर, प्रदेश के युवा न सिर्फ़ अपनी कला को प्रस्तुत करेंगे बल्कि उनकी कला को दुनिया तक पहुंचाने का माध्यम भी विश्व स्तरीय होगा।
यह मुश्किल सी नज़र आने वाले सोच है हल्द्वानी शहर की सांस्कृतिक, साहित्यिक संस्था ” रहबर ” के सदस्यों दीपांशु कुंवर, प्रशांत सिंह भोजक और मनीष पांडेय आशिक़ की। तीनों ही युवा अलग अलग पृष्टभूमि से आते हैं। दीपांशु कुंवर रेडियो कुमाऊं वाणी मुक्तेश्वर में रेडियो जॉकी हैं, वहीं प्रशांत सिंह भोजक प्रतिष्ठित फ़िल्म इंस्टीट्यूट ” एशियन एकेडमी ऑफ़ फ़िल्म एंड टेलीविज़न नोएडा ” के छात्र रहे हैं और फ़िलहाल शहर हल्द्वानी में अपने संस्थान ” पिक क्लिक ” के तहत प्रोफेशनल फ़ोटो ग्राफी क्लासेज चलाते हैं।
संस्था के तीसरे मुख्य सदस्य मनीष पांडेय आशिक़ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकॉम इंजीनियरिंग के छात्र रहे हैं और वर्तमान में स्वतंत्र फ़िल्म पत्रकार, गीतकार और लेखक के रूप में सक्रिय हैं। इनकी फ़िल्म और पुस्तक समीक्षाएं फ़िल्म और साहित्य जगत की नामचीन हस्तियों द्वारा पढ़ी और सराही जाती है।
विविधता के बावजूद यह तीनों युवा एक साथ अद्भुत कार्य कर रहे हैं। जहां एक तरफ़ रहबर संस्था के तत्वाधान में हर महीने ओपन माइक इवेंट आयोजित किए जाते हैं, जहां शहर और आस पास के युवा अपनी प्रतिभा दिखाने आते हैं, वहीं दूसरी ओर शहर की प्रतिष्ठित सामाजिक और राजनीतिक शख्सियतों के वीडियो इंटरव्यू भी रहबर संस्था के द्वारा किए जाते हैं। इसके साथ ही पहाड़ से जुड़ी कहानियां, पुस्तक समीक्षाएं, शहर की आम जनता के बीच से जुड़ी प्रेरणादायक कहानियों को बहुत रोचक तरीके से वीडियो फॉर्मेट में पेश किया जाता है। यहां ख़ास बात यह है कि इस सब में क्वालिटी का विशेष ध्यान रखा जाता है। हर वीडियो की ऑडियो, विज़ुअल क्वालिटी शानदार होती है।
इन प्रयासों का ही नतीजा है कि बहुत कम समय में ही शहर हल्द्वानी में रहबर संस्था का नाम बन चुका है। हल्द्वानी, नैनीताल, किच्छा, लालकुआं, पंतनगर, भीमताल से युवा अाकर रहबर संस्था के आयोजन में शामिल हो रहे हैं। देश, प्रदेश के बड़े कवि, कवियित्री, सामाजिक कार्यकर्ता भी रहबर संस्था के आयोजन में हिस्सा लेते हैं और युवा कलाकारों को प्रोत्साहित करते हैं। रहबर संस्था ने हल्द्वानी में एक साहित्यिक और सांस्कृतिक माहौल बना दिया है। यह सुखद पहल है जिसे हम सबको सराहना चाहिए।
अगली बार आप जब हल्द्वानी की सड़कों पर निकलें तो गौर से देखिएगा। आप यह तीन युवा अपने कैमरे के साथ कुछ बहुत अद्भुत, रोचक, क्रिएटिव कार्य फिल्माते हुए नजर आ जाएंगे। आप इनसे फ़ेसबुक पर ” rahbar pariavar ” और यूट्यूब पर ” rahbar family ” नाम खोजकर जुड़ सकते हैं।