हल्द्वानी: भारत की मिट्टी में प्रेम, करुणा, परोपकार की भावना रची बसी है। इसलिए यहां जन्म लेने वाला हर व्यक्ति मनुष्यता और इंसानियत के गुणों को भीतर समाहित किए होता है। इंसानियत की एक ऐसी ही कहानी है, जिसका मुख्य किरदार हैं हल्द्वानी के युवक तरुण सक्सेना।
हल्द्वानी निवासी तरुण सक्सेना शहर में गरीब, असहाय, ज़रूरत मंद लोगों के लिए एक अद्भुत योजना चला रहे हैं। तरुण सक्सेना अपनी टीम जिसका नाम ” रोटी बैंक ” है, के साथ मिलकर पिछले 500 दिनों से रोज़ रात बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, शहर के प्रमुख चौराहों पर रहने वाले गरीब, अपाहिज, असहाय ज़रूरत मंद लोगों को भोजन उपलब्ध करवाते हैं। इन ज़रूरत मंद लोगों में दिव्यांग, मानसिक रोगियों, बुज़ुर्ग लोगों की अधिकता होती है जिनके लिए एक वक़्त का भरपेट भोजन जुटा पाना एक बहुत कठिन काम होता है। रोटी बैंक ऐसे लोगों को भोजन करवाने का कार्य करता है।
रोटी बैंक हल्द्वानी की टैग लाइन है ” भूख की परिभाषा छोटी है, बस एक रोटी है “। इस पंक्ति को मूल में रखते हुए टीम रोटी बैंक निरन्तर आगे बढ़ रही है। टीम के प्रमुख तरुण सक्सेना बताते हैं कि इस योजना की शुरुआत भी अद्भुत तरीक़े से हुई। रोटी बैंक के मौजूदा सदस्यों में शामिल कुछ युवकों ने एक रोज़ एक भूखे इंसान की आंखों में चमक देखी, जब उसे भोजन मिला। उन्हें लगा कि वह भी अपने शहर में ऐसे कई लोगों का पेट भरकर, उनकी आंखों में खुशी ला सकते हैं। बस इसी सोच के साथ 15 अक्टूबर 2018 को रोटी बैंक हल्द्वानी की नींव रख दी गई।
रोटी बैंक को इन 500 दिनों में कई तरह से समस्याएं आईं लेकिन रोटी बैंक निरन्तर रूप से आगे बढ़ता रहा। रोटी बैंक की कार्य प्रणाली बहुत शानदार है। आप भी इनकी तरह अपने शहर में यह चीज़ शुरू कर सकते हैं। इस बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
रोटी बैंक मुख्य रूप से तीन तरह से भोजन का वितरण करवाता है। एक यह कि अगर किसी के घर में भोजन बच गया है तो वह रोटी बैंक को फोन कर के भोजन दे सकता है। दूसरा किसी भी व्यक्ति के होटल, कैफे में शादी, नामकरण या अन्य आयोजन का भोजन बच गया है वह रोटी बैंक को फोन कर के भोजन दे सकता है। तीसरा तरीक़ा यह है कि आप रोटी बैंक हल्द्वानी को संपर्क कर के राशन दे सकते हैं। आपके द्वारा दिए गए आटा, दाल, चावल, मसाले, तेल से भोजन तैयार कर रोटी बैंक हल्द्वानी की टीम गरीब और ज़रूरत मंद लोगों को भोजन मुहैया करवाती है। यह सच में शानदार पहल है। आप भी चाहें तो अपने शहर में दस पन्द्रह लोग जुड़कर इस तरह का कार्य कर सकते हैं। मानव सेवा ही दुनिया में सबसे बड़ी सेवा है।