हल्द्वानी: पिछले कुछ वक्त से उत्तराखंड स्टार्टअप हब बनने की ओर अग्रसर हो रहा है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में नई-नई सोच रोजगार के द्वार खोल रही है। इसके अलावा अन्य लोगों को भी अपना काम करने के लिए प्रेरित कर रही है। उत्तराखंड में संस्कृति को बढ़ावा देने के मकसद से कई युवाओं ने काम शुरू किया है और अब वह उनकी रोजी रोटी का जरिया बन गया है। आज हम हल्द्वानी की दो बहनों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने ऐपण कला से खुद की पहचान बना ली है। इसके लिए उन्होंने किसी से ट्रेनिंग नहीं ली।
पुरानी आईटीआई बिचली गौजाजाली की रहने वाली गरिमा हरारिया और माही अधिकारी ने साल 2016 से कला के क्षेत्र में कुछ करने के इरादे से उतरे तो सही, लेकिन पढ़ाई में व्यस्त रहने के वजह से उसे गति नहीं दे पाए। साल 2018 में उन्होंने तय किया कि अपनी रूचि से वह रोजगार के द्वार खोलेंगे। दोनों का कहना है कि सबसे पहले ऐपण से शुरुआत की क्योंकि हर पहाड़ी घर में बच्चे ऐपण को देखते हैं। यह हमारी संस्कृति से जुड़ा है और इसके चलते लोग आकर्षित भी होते हैं।
उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति, लोक कला के अलावा दोनों बहने पुरानी चीजों से नई वस्तुओं का निर्माण ,अखबार का सजावट के लिए इस्तेमाल , पुराने कपड़ों को पेंट करके आकर्षक और नया बनाना, गिफ्ट्स बॉक्सेस, पेंसिल sketching, पेंटिंग्स, डिजिटल आर्ट, कॉमिक बुक आर्ट, मंडला (mandala) आर्ट, आदि बनाने का काम करती है। कुछ वक्त पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुई उत्तराखंड की कलाकार भावना चुफाल का Digital Sketch बनाकर भी दोनों ने सुर्खियां बटोरी थी। पिछले महीने कुंज आर्ट द्वारा आयोजित हुई ऑनलाइन शिल्प कला प्रतियोगिता में गरिमा ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। इसके अलावा ऑनलाइन ऐपण आर्ट कॉम्पिटिशन में उन्हें दूसरा स्थान प्राप्त हुआ।
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राखी के पर्व के दौरान राखी की डिमांड बढ़ जाती है और इस बार दोनों कुछ नया लेकर आ रहे हैं। माही अधिकारी ने इस बार मौली धागे से राखियां तैयार की हैं,जिसमें फोटो -राखी भी शामिल है। लोगों को मौली से बनी हस्थनिर्मित राखियां बहुत पसंद आ रही है। ना सिर्फ उत्तराखंड में बल्कि दूसरे राज्यों के लोग भी इसे ऑर्डर कर रहे हैं।
कला के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं अन्य लोगों के लिए दोनों बहनों का कहना है कि अगर आप में हुनर है और आपकों उस काम को करने में खुशी मिलती है तो आपकों वो काम करना चाहिए। हम दोनों बहनों के पास आर्ट से रिलेटेड ना कोई डिग्री है ना कोई ऑनलाइन या ऑफलाइन Certificate, लेकिन हमें शुरू से इस काम में दिलचस्पी थी और हमने इसे स्वरोजगार हेतु शुरू किया। और आज काफी लोग हमारे काम को देखते हैं, पसंद करते हैं और जरूरत पड़ने पर अपना ऑर्डर भी देते हैं। काफी अच्छा लगता है जब आप अपनी रूचि को कैरियर बनाने का सोचते हैं। हां ये काम आपको हर महीने फिक्स सैलरी नहीं देता है। लेकिन काम करते हुए आप अपनी संस्कृति से जुड़ाव महसूस करते हैं। और इसमें जो खुशी मिलती है उसकी तुलना आप किसी से नहीं कर सकते।
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गरिमा ने कहा, ” हमारा प्रयास है कि लोग हमारे काम को जानें उसे देखें और उससे सीखें….उसके लिए हम अपने यूट्यूब चैनल में भी काफी Tutorial video’s डालते हैं, ताकि लोग देखें और सीखें .”