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हल्द्वानी निवासी चंपा ने नारियल में सजाई मां लक्ष्मी, मिला आत्मनिर्भरता का आशीर्वाद


Haldwani news: Champa got the blessing of self-reliance: हल्द्वानी के कठघरिया क्षेत्र की बजूनियाहल्दू गांव निवासी चंपा पांडे ने मां लक्ष्मी के ‘आशीर्वाद’ से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है। नारियल पर मां लक्ष्मी का मनभावन मुखौटा बनाकर चंपा क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हैं। चंपा कहती हैं कि ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद उन्होंने पेंटिंग की शुरुआत की। मायके में भाई से पेटिंग की प्रेरणा मिली। लेकिन शादी के बाद संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियों में शौक कहीं गुम हो गया। पति मनोज पांडे को हुनर का पता चला तो उन्होंने चंपा का हौंसला बढ़ाया। जिसके बाद परिवार के सहयोग से चंपा ने नारियल में मां लक्ष्मी के मुखौटे बनाना शुरू किया। अब तक लोक संस्कृति, पर्यावरण से जुड़ी दर्जनों वॉल पेंटिंग और नारियल में मां लक्ष्मी के मुखौटे बना चुकी हैं। चंपा की 13 साल की बेटी अंजनी भी पेटिंग कार्य में उनका सहयोग करती है।

प्रचार प्रसार न होने से घर में कैद हुई प्रतिभा
चंपा कहती हैं कि घर गृहस्थी और खेती के काम में पूरा दिन निकल जाता है। ऐसे में प्रचार प्रसार न होने से उनकी कला अधिक लोगों तक नही पहुंच पा रही है। शुभचिंतकों के माध्यम से ही लोग उन तक मां लक्ष्मी के मुखौटों और वॉल पेंटिंग लेने के लिए पहुंचते हैं। परिचित लोग अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, देहरादून समेत दिल्ली तक उनके हाथों बने मां लक्ष्मी के मुखौटे पहुंचा चुके हैं। आने वाली नवरात्रि में मां के मुखौटों के लिए भी कई लोगों ने उनसे संपर्क किया है। जिसकी तैयारी भी चंपा ने शुरू कर दी है।

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पीओपी से करती हैं बेस तैयार, फिर पेंटिंग
चंपा घर के कामकाज, खेत खलिहान, दुधारु पशुओं की जिम्मेदारी के बीच अपने हुनर को जिंदा रखने के लिए किसी तरह समय निकालती हैं। फिर बाजार से बड़े आकार के सूखे नारियल लाने के बाद चंपा उसे साफ कर पीओपी से पहले बेस तैयार करती हैं। उसके बाद मां लक्ष्मी का स्वरूप उकेर कर रंगों से सजाती हैं। मां लक्ष्मी का मुखौटा तैयार होने में करीब चार से पांच घंटे का समय लगता है। चंपा बताती हैं कि रोजाना थोड़ा थोड़ा समय निकालकर वह यह काम पूरा करती हैं।

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