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हैप्पी बर्थडे नैनीताल…180 साल पहले आज के दिन खोजी गई थी आपकी सरोवर नगरी, पूरा पढ़ें

हैप्पी बर्थडे नैनीताल...180 साल पहले आज के दिन खोजी गई थी आपकी सरोवर नगरी
Photo - Nainital.info

नैनीताल: कुछ तारीख खास होती हैं, जैसे आज की तारीख खास है। आज नैनीताल, हमारी अपनी सरोवर नगरी का जन्मदिन है। 18 नवंबर 1841 को जन्मी झीलों की इस नगरी ने आज 180 साल पूरे कर लिए हैं। आपको बता दें कि तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नर ट्रेल ने 20 साल पहले ही नैनीताल की खोज कर ली थी। लेकिन नैनीताल को दुनिया के सामने पी बैरन नाम के व्यापारी लेकर आए थे।

कैसे हुई खोज

18 नवम्बर 1841 यानी आज ही के दिन पी बैरन नाम के व्यापारी ने नैनीताल का दस्तावेजीकरण किया था। इतिहास बताता है कि कुमाऊं कमिश्नर ट्रेल 20 साल पहले ही नैनीताल आ चुके थे। मगर उन्होंने यहां की आबोहवा और झील की नैसर्गिक सौंदरता को बनाए रखने के लिए इसका प्रचार नहीं किया।

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चीनी का व्यापार करने वाले अंग्रेज व्यापारी पी बैरन पहाड़ों में घूमने का शौक रखते थे। तभी वह एक बार बद्रीनाथ से कुमाऊं की तरफ आए। यहां शेर का डांडा के पास बैरन को एक सुंदर झील के बारे में पता चला। स्थानीय लोगों की मदद लेकर बैरन ने करीब 2360 मीटर की ऊंचाई पर पैदल सफर किया और एक स्थान पर आए। उन्होंने यहां पर स्थित जब खूबसूरत झील को देखा तो वह इसे निहारते ही रह गए।

इसके बाद पी बैरन के इंग्लैंड वापस लौटने पर उन्होंने अपने यात्रा वृतांत कई समाचार पत्रों में प्रकाशित कराए। वहीं से नैनीताल अस्तित्व में आया। देखते ही देखते पूरी दुनिया नैनीताल की खूबसूरती की कायल हो गई। अंग्रेजों ने झील के चारों और करीब 64 नालों को बनाया। शहर का सीवरेज सिस्टम भी आज भी वैसा ही है।

रोचक तथ्य

नैनीताल में पर्यटन पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक सन् 1847 तक यह एक लोकप्रिय पहाड़ी रिज़ॉर्ट बन गया था। 3 अक्टूबर 1850 को, नैनीताल नगर निगम का औपचारिक रूप से गठन हुआ था। बता दें कि तब यह उत्तर पश्चिमी प्रान्त का दूसरा नगर बोर्ड था। इस शहर के निर्माण को गति प्रदान करने के लिए प्रशासन ने अल्मोड़ा के धनी साह समुदाय को जमीन सौंप दी थी।

जानकारी के मुताबिक जमीन भी इस इस शर्त पर सौंपी गई थी कि वे जमीन पर घरों का निर्माण करेंगे। सन् 1862 में नैनीताल उत्तरी पश्चिमी प्रान्त का ग्रीष्मकालीन मुख्यालय बन गया। आजादी के पश्चात उत्तर प्रदेश के गवर्नर का ग्रीष्मकालीन निवास नैनीताल मेंं ही हुआ करता था। छः मास के लिए उत्तर प्रदेश के सभी सचिवालय नैनीताल जाते थे। अभी भी उत्तराखण्ड का राजभवन एवं उच्च न्यायालय नैनीताल में स्थित है।

कठिन रहा जीवन

सरोवर नगरी की खूबसूरती इस बात को बाखूबी से छिपा लेती है नैनीताल ने कितने कष्ट सहे हैं। बता दें कि नैनीताल शहर ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं। इस शहर में 1880 में भूकंप आया था। जिसमें नैना देवी मंदिर भी क्षतिग्रस्त हो गया था। लगातार तीन दिनों तक विनाशकारी भूस्खलन हुआ जिसमें 151 लोगों की मौत हो गई थी। जिसमें 108 भारतीय व 43 लोग यूरोपियन थे।

हादसे के बाद अंग्रेजों ने वर्ष 1890 में विभिन्न क्षेत्रों में 65 नालों का निर्माण कराया, जिन्हें शहर की धमनियां कहा गया। इतिहासकार शेखर पाठक कहते हैं कि नैनीताल शहर अब बीमार हो चुका है। नैनी झील में पूरे शहर का प्रदूषित पानी जा रहा है। झील के चारों तरफ घने जंगल भी धीरे-धीरे कटते जा रहे हैं। शहर अब कंक्रीट का जंगल बनता जा रहा है।

सैलानियां का फेवरेट

नैनीताल के दीवाने दुनिया के कोने कोने में हैं। इसे देश के बेहतरीन पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। सैलानी नैनीताल आने को लेकर हमेशा ही उत्साहित रहते हैं। हालांकि पिछले 20 सालों में बढ़ती आबादी और सैलानियों के दबाव से नैनीताल पर काफी दबाव बढ़ा है। हाल ही में आई भारी बारिश ने शहर समेत पूरे जिले तो तहस नहस कर दिया था।

मगर अब फिर से नैनीताल ने सांसे भरना शुरू कर दिया है। लोग नैनीताल में नयना देवी मंदिर के दर्शन, नैनी झील में बोटिंग को सबसे अधिक पसंद करते हैं। इनके अलावा चिड़ियाघर, कैमल्स बैक, ट्रिफिन टॉप, किलबरी समेत कई जगहों से हमारा शहर पर्यटकों को आकर्षित करता है। आज नैनीताल का जन्मदिन है, शुभकामनाएं देना तो बनता है। हैप्पी बर्थडे नैनीताल।

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