देहरादून: पहले कैबिनेट बैठक बीच में छोड़ने के साथ ही इस्तीफे की पेशकश ने भाजपा की नींद उड़ाई तो अब कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को लेकर फिर से सियासत गर्मा गई है। दरअसल हरक सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एक होटल के एक ही फ्लोर पर ठहरे थे। इन दोनों की कथित मुलाकात की खबरों से सियासी चर्चाओं को फिर से उबाल मिल गया।
एक होटल, एक ही फ्लोर
बीती रात करीब 9.30 बजे की बात है जब काबीना मंत्री हरक सिंह रावत अपने एक गनर के साथ सुभाष रोड स्थित एक होटल में पहुंचे। यहां वह पहले तो थोड़ी देर तक लॉबी में बैठे रहे। कुछ ही देर बाद यहां कांग्रेस नेता हरीश रावत के स्टाफ से जसबीर सिंह रावत, संजय चौधरी भी आ गए। जो कि हरक को वहां मौजूद देख उनके साथ बैठ गए।
इसके बाद हरक सेकेंड फ्लोर स्थित अपने कमरे में चले गए। हुआ ये कि करीब 20 मिनट बाद हरीश भी होटल पहुंच गए। उनका कमरा भी सेकेंड फ्लोर पर था तो वह भी उसी फ्लोर पर अपने दूसरे कमरे में चले गए। जानकारी के अनुसार हरीश रावत कांग्रेस भवन में चुनाव समितियों की बैठक से लौटे थे।
हालांकि करीब आधा घंटे बाद रावत वहां से अपनी टीम के साथ अपने घर लौट गए। लेकिन एक ही होटल, एक ही फ्लोर, आजू बाजू कमरे होने की वजह से हरक सिंह रावत और हरीश रावत की मुलाकात की चर्चाओं ने सोशल मीडिया पर हल्ला कर दिया। रिपोर्ट्स के मानें तो खुफिया कर्मियों ने भी होटल में जाकर दोनों रावतों की मुलाकात की तस्दीक करने की कोशिश की। बहरहाल हरक सिंह रावत ने मुलाकात की खबरों को खारिज किया और कहा होटल सार्वजनिक स्थान है, कोई भी आ-जा सकता है।
हरक सिंह रावत और भाजपा
आपको याद होगा कि कैबिनेट की आखिरी बैठक में कथित तौर पर मेडिकल कॉलेज को स्वीकृति ना मिलने से नाराज होकर हरक सिंह रावत ने इस्तीफे की घोषणा की थी। लेकिन इसके बाद केंद्रीय नेताओं व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें भरोसा दिला कर मना लिया था। लेकिन हरीश रावत से मुलाकात की चर्चाओं ने फिर जोर पकड़ लिया था। भाजपा के लिए गनीमत ये रही कि हरक ने मुलाकात की बात नहीं मानी।
हरीश रावत और कांग्रेस
कांग्रेस में भूचाल तब आया जब हरीश रावत ने लगातार ट्वीट कर पार्टी की अंदरूनी लड़ाई को सार्वजनिक कर दिया। उन्होंने ट्वीट से पार्टी के कुछ नेताओं पर निशाना साधा था और कहा था कि उनके हाथ पैर बांध दिए गए हैं। ऐसे में उत्तराखंड क्रांति दल के अध्यक्ष से उनकी मुलाकात हुई तो कांग्रेस के पसीने छूट गए। हालांकि बाद में दिल्ली में हाईकमान की बैठक के बाद सब सुलझ गया और पार्टी ने हरीश रावत की लीडरशिप में ही चुनाव लड़ने का फैसला किया।