देहरादून: विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश की राजनीति हमेशा गहमागहमी भरी रहती है। इस बार भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। भाजपा से निष्कासित किए गए पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत को लेकर राजनीति के गलियारों में संशय बरकरार है। एक तरफ कांग्रेस पार्टी ने उनकी एंट्री को रोक कर रखा है। तो वहीं अब चर्चा है कि भाजपा उन्हें माफ कर फिर से पार्टी में ले सकती है।
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही हरक सिंह रावत को भारतीय जनता पार्टी ने निष्कासित किया था। इसके पीछे यह कारण माना जा रहा था कि हरक सिंह रावत अपने परिवार से दो टिकट मांग रहे हैं। जबकि भाजपा पहले ही साफ कर चुकी है कि वह आगामी विधानसभा चुनावों में एक परिवार से एक ही टिकट देगी। ऐसे में हरक सिंह रावत को पार्टी से जाना पड़ा।
मगर वहीं हरक सिंह रावत की कांग्रेस में भी वापसी मुश्किलों के बीच खड़ी हुई है। पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हरक सिंह रावत से माफी मांगने की बात कही। हालांकि हरक सिंह रावत ने उसके बाद हरीश रावत को बड़ा भाई मान कर माफी भी मांग ली। मगर इसके बाद कई और विधायकों और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हरक सिंह रावत का विरोध किया है।
बता दें हरक सिंह रावत भी कांग्रेस के उन 9 विधायकों में शामिल थे जो मार्च 2016 के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। तब कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई थी और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था। अब मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हरक सिंह रावत दोबारा भाजपा में वापसी कर सकते हैं। गौर करने वाली बात ये भी है कि भाजपा द्वारा 11 सीटों पर अभी भी उम्मीदवार घोषित नहीं किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में डेरा डाले हुए हरक सिंह रावत ने कांग्रेस की तारीफ तो की है। लेकिन उन्होंने भाजपा के खिलाफ कुछ नहीं बोला। चर्चा है कि इस दौरान उनकी दिल्ली में भाजपा के कुछ नेताओं से मुलाकात हुई है। माना जा रहा है कि हरक सिंह रावत अगर पश्चाताप करें तो भाजपा उन्हें माफ कर पार्टी में वापस बुला सकती है। देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में हरक सिंह रावत का भविष्य कैसा रहता है।