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एंग्जायटी पैनिक अटैक से डरें नहीं, उसका मनोवैज्ञानिक तरीके से मुकाबला करें: डॉक्टर नेहा शर्मा


अचानक पूरे शरीर में कंपकंपी होना, घुटन की हद तक सांस फूलने लगना, एक अनजाना डर, बेचैनी, सांस छोटी-छोटी लेकिन तेज-तेज आना, ऐसा महसूस होना कि हार्ट अटैक आ गया, अब कुछ नहीं बचा, ऐसा कुछ महसूस किया है आपने? यह पैनिक अटैक है। युवाओं और महिलाओं में इन दिनों खूब देखा जा रहा है।हल्द्वानी मुखानी स्थित मनसा क्लीनिक की मनोवैज्ञानिक डॉक्टर नेहा शर्मा ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस लक्ष्यण का ये मतलब नहीं है कि ये एक गंभीर बीमारी है। यह एंग्जायटी पैनिक अटैक अटैक के संकेत हो सकते हैं। इसे हिन्दी में चिंता का दौर कहते हैं।क्योकि ये घबराहट की बीमारी है। इसका मुख्य कारण तनाव व भय भी है। ये एक प्रकार का मन का रोग है जो मन में विचारों की गड़बड़ी से होने लगता है।

इस बीमारी से ग्रस्त होती एक ही सवाल व विचार पर रहता है वो इससे बाहर निकलने के कोई भी समाधान नहीं निकाल पाता है। वो जो भी सोचता है उसे वो समस्या लगने लगती है। रोगी हर वक्त प्रश्नों से घिरा रहता है और बीमारी ना होते हुए भी वो अपने आप को बीमार समझने लगता है। वो इस तरह के लक्ष्यण को हृदय से जोड़ने लगता है।

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भागदौड़ भरी जिंदगी में एंग्जायटी पैनिक अटैक के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। डॉक्टर नेहा शर्मा ने बताया कि हर दिन 5-6 लोगों में इस लक्ष्यण दिखाई देते हैं। यह पूर्ण रूप से साइकोलॉजिकल परेशानी है। यह सोच में बढ़ने से ज्यादा होने लगती हैं। उन्होंने बताया कि वो इस तरह के कई मरीजों का इलाज कर रही है।

एंग्जायटी पैनिक अटैक का क्या है उपचार

डॉक्टर नेहा शर्मा ने बताया कि यह मन की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें रोगी ना तो जी रहा होता है ना ही मर रहा होता है। इस परेशानी से ग्रस्त व्यक्ति को हर वक्त बैचेनी लगने लगती है।

डॉक्टर नेहा शर्मा

उन्होंने बताया कि मनोवैज्ञानिक विधि से इस परेशानी से निजात पाया जा सकता है। इसके रोगी को पहले रिलेक्सेशन थैरेपी और फिर ओबीटी दी जाती है। उन्होंने बताया कि इस तरह से एंग्जायटी पैनिक अटैक पर पूर्ण तरीके से विजय प्राप्त कर दोबारा नॉर्मल लाइफ जी जा सकती है।

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