देहरादून : बीते दिनों की बारिश ने फिर से इंसानों को प्रकृति के रौद्र रूप से रूबरू करवाया है । 18 अक्टूबर की सुबह शुरू हुई बरसात 19 अक्टूबर की शाम तक बाढ़ का रूप धारण कर चुकी थी । मूसलाधार बारिश ने फिर से देवभूमि की जड़े हिला कj रख दी । पिछले तीन दिन में हालात इतने बुरे हुए कf अब तक रेस्क्यू टीम बचाव कार्य में लगी हुई हैं ।
मौसम विभाग ने पहले ही अतिवृष्टि की संभावना जताई थी । दरअसल यह अतिवृष्टि बंगाल की खाड़ी से आई नमी , मध्य भारत के निम्न दबाव और पश्चिमी विक्षोभ के मिले जुले प्रभाव के कारण हुई । बंगाल की खाड़ी से आई नमी कम दबाव होने के कारण उत्तराखंड की तरफ आ गई। लेकिन यहां पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के कारण उसे भारी प्रतिरोध मिला जिससे वह यहां बरस गई ।
मानसून को विदा करने के करीब 10 दिन बाद ही आकाश ने ऐसी करवट बदली कि देवभूमि की नदियां उफान पर आ गई और अपने आक्रोश के साथ बहुत कुछ ले गई । इस दौरान औसत 200 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई। जबकि, अक्टूबर में पूरे माह में करीब 31 मिलीमीटर बारिश होती है। यानी 36 साल में पहली बार इस मात्रा में बरसकर कुमाऊं मंडल में बारिश ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए । अकेले नैनीताल में 432 और ऊधमसिंह नगर में 368 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।
जिला आपदा कंट्रोल रूम से प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार की देर शाम तक अलग – अलग स्थानों से मलबे में दबे होने की सूचना मिली हैं । उन्हें निकालने का काम जारी है । सड़क और संचार सेवा बाधित होने के कारण दूरस्थ क्षेत्रों से सूचनाएं नहीं मिल रही हैं।
प्रशासन द्वारा बताया कि राहत बचाव कार्य लगातार जारी है। बिक्रम सिंह (निदेशक, राज्य मौसम विज्ञान केंद्र) का कहना है कि कुछ दिनों तक उत्तराखंड में ज्यादातर इलाकों में मौसम सामान्य रहने के आसार हैं। हालांकि, पिथौरागढ़, नैनीताल, चम्पावत और पौड़ी में कहीं-कहीं हल्की बारिश हो सकती है। इसके अलावा देहरादून, हरिद्वार समेत आसपास के इलाकों में मौसम शुष्क रहने की संभावना है।