नैनीताल: बीते दिनों में प्रदेश सरकार ने एकदम कई सारे अफसरों के तबादले किए हैं। इसमें सबसे खास कुमाऊं की बात है। कुमाऊं को नया कमिश्नर (Kumaun new commissioner) मिल गया है। नैनीताल और पूरे कुमाऊं के फेवरेट आइएएस दीपक रावत को यह जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दीपक रावत को पहली बार ये जिम्मेदारी नहीं मिली है।
जी हां, दीपक रावत (IAS Deepak Rawat) पहले भी कुमाऊं कमिश्नर के पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। दरअसल दीपक रावत ने पहले अतिरिक्त तौर पर यह प्रभार संभाला था। उन्होंने पहली अगस्त 2016 से तीन अक्टूबर 2016 तक प्रभारी कमिश्नर पद की जिम्मेदारियों का निर्वहन किया था। वह उस वक्त नैनीताल के जिलाधिकारी भी थे।
बता दें कि दीपक रावत ने नैनीताल के जिलाधिकारी (Nainital DM) के रूप में तीन साल (2014-2017) तक काम किया। दीपक रावत के काम करने का तरीका सबसे अलग है, शायद इसलिए भी वह जनता के इतने खास हैं। सोशल मीडिया और यूट्यूब पर उनकी गजब की फैन फॉलोविंग (Fan following) है। उनकी हमेशा से सख्त और तुरंत एक्शन लेने की आदत रही है। कुमाऊं को उम्मीद है वह इस कार्यकाल में भी अच्छा काम करेंगे।
बहरहाल कुमाऊं के इतिहास (History of Kumaun) की बात करें तो कुमाऊं कमिश्नरी 1947 में बनी थी। उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद कुमाऊं के कमिश्नर के रूप में सबसे लंबा कार्यकाल (2001-2007) आइएएस राकेश शर्मा का रहा। 24 अक्टूबर 2001 से 17 अप्रैल 2007 तक करीब सात साल कुमाऊं कमिश्नर रहे।
सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक वैसे कुमाऊं के पहले कमिश्नर आइसीएस केएल मेहता (ICS KL Mehta) रहे। जबकि एजे खान पहले आइएएस हैं, जो कुमाऊं के कमिश्नर बने। प्रभारी कमिश्नर के रूप में आइएएस डा. नीरज खैरवाल पहली अप्रैल 2020 से 27 मई 2020 तक प्रभारी कमिश्नर रहे। राज्य बनने के बाद कमिश्नर एस राजू का कार्यकाल 25 अप्रैल 2007 से 16 मई 2010 तक रहा।