नई दिल्ली: एक तहसीलदार से मुख्यमंत्री के ओएसडी बनने का सफर तय करने वाले अफसर की कहानी भी गजब की है। पहले पदोन्नत होकर आईएएस बनना और फिर रिटायर होने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा अपना नया ओएसडी बनाया जाना, हिमांचल के गोपाल शर्मा की कहानी अलग है।
गोपाल शर्मा 31 जनवरी 2020 को रिटायर हो चुके थे। बता दें कि उन्होंने 1986 में तहसीलदार कुमारसैन के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। वह 1994 में HAS में आए। इसके बाद वह IAS में आए और 2009 बैच के IAS अधिकारी बने। वह 31 जनवरी 2020 को रिटायर्ड हुए।
बाद में गोपाल शर्मा एसडीएम के तौर पर नादौन, बड़सर, देहरा और चंबा में रहे। वह एसडीएम चंबा, भरमौर के अलावा संयुक्त आयुक्त नगर निगम शिमला, एमडी स्टेट कोऑपरेटिव बैंक और हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट भी रहे। वह विशेष सचिव सहकारिता, वन , उद्योग और शिक्षा भी रहे।।
गौरतलब है कि अर्की निवासी गोपाल शर्मा 2009 बैच के IAS अधिकारी रहे हैं। पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में गोपाल शर्मा राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक थे। गोपाल शर्मा ने 15 अलग अलग विषयो में डिग्री ली है। साथ ही वह 20 देशों की यात्राएं कर चुकें है।
इसमें कोई दोराय नहीं कि अमूमन ऐसा नहीं होता है। नायब तहसीलदार के पद पर चुने जाने के बाद अधिकतम संयुक्त कलेक्टर या अपर कलेक्टर के पद तक ही पहुंचा जा सकता है। नगर गोपाल शर्मा तहसीलदारी करते हुए आईएएस तक बने और अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की पसंद पर कार्मिक विभाग ने उन्हें ओएसडी बनाने का आदेश जारी किया है।