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उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में टीचर बनेंगे IAS व PCS अधिकारी, शानदार मुहिम की हुई शुरुआत

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में टीचर बनेंगे IAS व PCS अधिकारी, शानदार मुहिम की हुई शुरुआत

देहरादून: राज्य में शिक्षा के स्तर को आगे बढ़ाने के लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं। उत्तराखंड शिक्षा विभाग भी लगातार इस ओर प्रयासरत है। हाल ही में सरकार ने टॉपर छात्राओं व छात्रों के लिए गिफ्ट तैयार करने के साथ एक और प्लानिंग की है। दरअसल शिक्षा संबंधित बैठक में संकल्प अभियान को लेकर व्यापक चर्चा की गई।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में सरकारी स्कूल में 12वीं के 100 कुल छात्र-छात्राओं को 2500 रुपए प्रति महीने देने के लिए प्लान बनाने को कहा। इसके अलावा पढ़ाई को और अच्छे स्तर पर ले जाने के साथ ही प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों को लेकर भी चर्चा की गई।

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बैठक में इस बारे में निर्देश दिए गए कि संकल्प अभियान के तहत आईएएस और पीसीएस अधिकारी महीने में एक दिन स्वेच्छा से स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ाएं। गौरतलब है कि अधिकारी अगर बच्चों की क्लास लेंगे तो उन्हें खासा फायदा होगा। कई बच्चे जो, अधिकारी बनना चाहते हैं, उन्हें अधिकारियों से बात करने का और सवाल पूछने का मौका मिलेगा।

इसके अलावा शिक्षा विभाग में कराए जाने वाले निर्माण कार्यों की गुणवत्ता के लिए प्रधानाचार्य, खंड शिक्षा अधिकारी के साथ ही एसएमसी, एसएमडीसी, पीटीए और मुख्य शिक्षा अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई। बता दें कि बैठक में निर्देश जारी किए गए हैं। निर्देश ये कि राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा इस संबंध में कार्यवाही करेंगे।

कई स्कूलों में प्रधानाचार्यों के खाली पदों को भरने के बारे में भी अच्छी चर्चा हुई। इस संबंध में कहा गया कि इन पदों को भरने के लिए सेवा शर्तों में एक बार छूट दी जाए। निदेशक माध्यमिक शिक्षा को इस संबंध में कार्यवाही के निर्देेश दिए गए हैं। बैठक में सीएम ने बच्चों को कंप्यूटर और अंग्रेजी के शिक्षण व्यवस्था के भी निर्देश दिए।

बता दें कि पहले भी ऐसा हो चुका है जब एक आईएएस अधिकारी ने सरकारी स्कूल के शिक्षक की अनुपस्थिति में पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाई थी। दरअसल 2017 में रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने एक सरकारी स्कूल में अपनी पत्नी को शिक्षक के तौर पर बच्चों की क्लास लेने भेजा था। ऐसा इसलिए क्योंकि तब वहां के वहां टीचर मौजूद नहीं थे। इस कदम को लेकर डीएम की काफी तारीफ भी हुई थी।

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