हल्द्वानी: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर हर तरफ चर्चा है। इस बार कई विधानसभा सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों की चर्चा खूब हो रही है और लालकुआं विधानसभा भी उनमें से एक है। आपको बता दें कि लालकुआं विधानसभा सीट से कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को उतारा है तो वहीं भाजपा ने डॉ मोहन सिंह बिष्ट को अपना चेहरा बनाया है जो जिला पंचायत सदस्य हैं।
इस बार का चुनाव केवल भाजपा और कांग्रेस के बीच का नहीं रहने वाला है। इतिहास के पन्ने पलटे तो लालकुआं विधानसभा में निर्दलीय पहले ना केवल विधायक बनें हैं बल्कि मंत्री भी बनें हैं। साल 2012 में लाल कुआं विधानसभा अस्तित्व में आई थी और पहले विधायक निर्दलीय प्रत्याशी हरीश दुर्गापाल रहे थे। वहीं साल 2017 में हरेंद्र बोरा को 14709 वोट मिले थे। ऐसे में इतिहास निर्दलीय प्रत्याशियों द्वारा समीकरण बिगाड़ने का प्रमाण दे रहा है।
लालकुआं विधानसभा सीट से कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय मैदान पर उतरी संध्या डालाकोटी और भाजपा से बागी हुए पवन चौहान की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है। नतीजा किसी के पक्ष में भी जाए लेकिन दोनों मुख्य राजनीतिक दलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं इसको लेकर दल भी गंभीर हैं। यह इसलिए क्योंकि संध्या डालाकोटी पहले हल्द्वानी ब्लॉक प्रमुख रह चुकी हैं और वह लंबे वक्त से जनता के बीच में जा रही हैं। दूसरी ओर पवन चौहान पूर्व में लालकुआं के चेयरमैन रह चुके हैं और ऐसे में उनके पास भी एक अच्छा खासा वोट बैंक है जो भाजपा को इन चुनावों में आसान रहा नहीं देगा। वैसे भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के मैदान पर उतरने से यह सीट सबसे ज्यादा हॉट बन चुकी है क्योंकि पूर्व सीएम का कैरियर इस चुनाव पर निर्भर हैं।