देहरादून: अभ सिर्फ राजधानी नहीं बल्कि पूरे राज्य में होने वाले हर सड़क हादसे की जानकारी शासन प्रशासन को मिल जाएगी। आईरेड ऐप की मदद से यह सुनिश्चित होगा कि राहत बचाव के काम भी जानकारी मिलने के तुरंत बाद किए जाएं। गौरतलब है कि राज्य में हर साल औसतन 1300 से भी ज्यादा सड़क हादसे हो रहे हैं।
जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में पर्वतीय व मैदानी इलाकों में सड़क हादसे कम होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। परिवहन विभाग के आंकड़े भी यही दर्शाते हैं। उत्तराखंड में पिछले छह साल के भीतर 7993 हादसे हुए, जिसमें 5028 लोगों की जान जा चुकी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में हर साल औसतन 1322 हादसे हो रहे हैं, जिसमें औसतन आठ सौ से ज्यादा लोगों की जान जा रही है।
इन्हीं सब मुद्दों को देखते हुए केंद्रीय भूतल, सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से आईरेड मोबाइल एप तैयार किया गया है। जिसकी मदद से सड़क हादसा होने की स्थिति में वहां की जानकारी सरकार, शासन के आला अधिकारियों के अलावा जिला प्रशासन के अधिकारियों से भी साझा की जा सकेगी।
जी हां, इसके लिए तैयारियां भी धीरे धीरे पूरी की जा रही हैं। तमाम योजनाओं को फ्लोर पर उतारने के लिए मंत्रालय की पहल पर उत्तराखंड के सभी जिलों में एनआईसी में विशेषज्ञों की तैनाती भी कर दी गई है। इतना ही नहीं बल्कि इसे लेकर पुलिस, जिला प्रशासन और परिवहन विभाग के अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप सैनी ने जानकारी दी और बताया कि आईरेड मोबाइल एप से हादसों की जानकारी तुरंत मिल सकेगी। ऐसा होगा तो राहत बचाव के काम भी जल्द ही किए जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि डाटा तैयार किया जाएगा। ये देखा जाएगा कि कहां अधिक हादसे हो रहे हैं और इनकी वजह क्या हैं। फिर उन वजहों को दूर करने के लिए काम किया जाएगा।