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राष्ट्रीय कला उत्सव में बागेश्वर की बेटी नंबर वन,पहाड़ी मांगल गीत ने दिलाई पहचान


बागेश्वर: जिले की होनहार बिटिया ईशा धामी की बदौलत उत्तराखंड को एक बार फिर गर्व करने का अवसर मिला है। उन्होंने जब पारंपरिक मांगल गीत को राष्ट्रीय कला उत्सव में गाया तो उन्हें प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया। एकेडमी घिरौली की 9वीं की छात्रा ईशा धामी मूलरूप से ग्राम चौनाला बेरीनाग मंडलसेरा की निवासी है। ईशा की इस उपलब्धि से राज्य के शिक्षा और संगीत जगत से जुड़े लोग खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। लोकगीत स्वाल पथाई के दिन गाए जाने वाला प्रमुख लोकगीत है। छात्रा का यह गीत सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इस उपलब्धि के लिए ईशा को 25 हजार रुपया नकद व प्रमाण पत्र से नवाजा जाएगा।

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बता दें कि एनसीईआरटी राष्ट्रीय कला की तरफ से हर साल राष्ट्रीय स्तर के उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें जिले और राज्य स्तर से कक्षा 9 से 12 तक के छात्र-छात्राओं का चयन कर इस उत्सव में शामिल किया जाता है। इस बार बागेश्वर की छात्रा ने इस उत्सव में लोकगीत गाकर उत्तराखंड को पहला पुरस्कार दिलाया है। ईशा के पिता मोहन सिंह धामी राइंका मंडलसेरा में शिक्षक हैं। माता रश्मि धामी आनंदी एकेडमी घिरौली में शिक्षिका हैं।

इधर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी ट्वीट कर के ईशा को बधाई दी। अपने ट्वीट में मुख्यमंत्री ने लिखा की बागेश्वर की ईशा धामी ने 11 से 22 जनवरी तक आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय कला उत्सव प्रतियोगिता में पारंपरिक लोकगीत गायन में पहला स्थान हासिल किया। ईशा बिटिया को इस उपलब्धि के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।भगवान बदरी विशाल और बाबा केदार से उनके उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करता हूं।

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