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कश्मीर हिमालय से भूटान तक पाया जाने वाला फूल नैनीताल में खिला, लगते हैं 12 साल


Uttarakhand News: कश्मीर व भूटान के हिमालयों में पाया जाने वाला फूल नैनीताल में खिला है। ये फूल 12 साल में एक बार खिलता है। इस फूल को जोंटिला या ए गॉसिपिना कहते हैं। कंडाली या जोंटिला, बॉटनिकल नाम आर्टिका डायोसिया, का फूल कालाढूंगी रोड में चारखेत, हनुमानगढ़ी के समीप कैमल्स बेक पहाड़ी के नीचे खिला है। इस दुर्लभ पुष्प की मौजूदगी उत्तराखंड में नैनीताल को नई पहचान दे सकती है। वहीं ये फूल इलाज के लिए कारगर है।

जोंटिला के बारे में कुमाऊं विवि की डॉ सोनी दफौटी ने कहा कि ये फूल 12 साल में एक बार खिलता है। यह कश्मीर हिमालय से भूटान तक पाया जाता है। इस पौधे को 1973 में देहरादून के मसूरी में डॉ एस विश्वास जबकि पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र चौंदास घाटी में वर्ष 2000 में डॉ एसएस सामंत द्वारा रिपोर्ट किया है। उन्होंने बताया कि इस फूल की जड़ अतिसार रोग के उपचार में प्रयुक्त होती है। जबकि डंडी स्थानीय समुदाय रस्सी व जाल बनाने में उपयोग में लाता रहा है। यह समुद्र तल से पांच हजार से साढे सात हजार फिट ऊंचाई वाले स्थानों में पाया है। यह अगस्त में फूलना आरंभ करता है और अक्टूबर प्रथम सप्ताह तक फूल देता है, फिर बीज बन जाते हैं। इस पौधे को 1973 में देहरादून के मसूरी में डॉ एस विश्वास ने उत्तराखंड में पहली बार खोजा था।  

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जोंटिला के बारे में पर्यावरणविद पद्मश्री अनूप साह के अनुसार यह जोंटिला का फूल उन्होंने सबसे पहले 1975 में पहला चक्र देखा था। फिर 1987 में, 1999 में, 2011 में भी रिपोर्ट किया है। इसी साल 12 सितंबर को पांचवां चक्र देखा।  उन्होंने कहा कि दोगांव के नीचे जोंटिला चार साल बाद खिलेगा जबकि इस साल यह हनुमानगढ़ी के समीप भी खिला है। 

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