Uttarakhand News: पीरियड्स या मासिक धर्म एक ऐसा विषय है, जिस पर अधिकतर परिवार बात करने से झिकझकते होंगे। महिलाओं को पीरियड्स या मासिक में होने वाली तकलीफ के बारे में हर कोई जनता है लेकिन अधिकतर परिवार इस वक्त में लड़कियों के साथ भेदभाव करते हैं। कई इलाकों में तो उन्हें एक अलग बेड पर सोने पर भी मजबूर होना पड़ता है। इन दिनों में उन्हें मंदिरों और किचन में प्रवेश नहीं मिलता है। इस बीच उत्तराखंड काशीपुर के जितेंद्र भट्ट और उनकी पत्नी ने ऐसा काम किया है, जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है।
कौन हैं जितेंद्र भट्ट
काशीपुर के जितेंद्र भट्ट की ओर बेटी हैं और उन्होंने अपनी बेटी के पहले पीरियड्स का जश्न बनाया है। बिल्कुल जन्मदिन की तरह…सोशल मीडिया पर जैसे ही इस संबंध में पोस्ट हुआ तो जितेंद्र और उनकी पत्नी पूरे देश में छा गए। जितेंद्र मूलरूप से चांदनी बनबसा के रहने वाले हैं। उत्तराखंड में भले ही कई लोग जितेंद्र के इस कदम पर बात करना नहीं चाहते हों लेकिन जो काम उन्होंने अपनी बेटी के लिए किया है… ये हर बेटी चाहती है।
पत्नी की परेशानी देखी और बेटी के लिए लिया फैसला
जितेंद्र भट्ट ने इस संबंध में कहा कि पीरियड्स को लेकर उनके परिवार की सोच भी पहले रूढ़िवादी थी। शादी के बाद उनकी पत्नी पीरियड्स के दिनों में परेशानी होती थी और ये पूरे परिवार ने देखा। उन्होंने कहा कि मासिक धर्म कोई अपवित्रता नहीं है, ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसे समझना बेहद जरूरी है। उन्होंने अपनी बेटी रागिनी के पहले पीरियड्स का जश्न समाज को एक संदेश देने के लिए ही मनाया।
जितेंद्र ने मनाया बेटी के पहले मासिक धर्म का जश्न
जितेंद्र भट्ट ने 17 जुलाई को उन्होंने बेटी के पहले मासिक धर्म पर समारोह आयोजित किया था। इस मौके पर उन्होंने केक काटकर जश्न मनाया। इतना ही नहीं जन्मदिन की तरह उन्होंने बेटी रागिनी के दोस्तों को भी निमंत्रण दिया था। कई उपहार दिए। कई लोगों ने गिफ्ट में सैनेटरी पैड दिए। रागिनी भी खुद को खुशकिस्मत मानती हैं कि उन्हें ऐसे माता-पिता मिले जो अपने काम से समाज को संदेश दे रहे हैं। जितेंद्र पूरे देश में हीरों बन गए हैं, उन्हें सोशल मीडिया पर बधाई मिल रही है। स्थानीय लोग एवं संस्थाएं उनके आवास पर पहुंचकर उनके कदम की तारीफ कर रहे हैं। इस बारे में भी उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी है।