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उत्तराखंड से विदेश पहुंचेंगी खादी, ऑनलाइन बिक्री शुरू, 50 हजार होगी लिमिट


हल्द्वानी: वर्तमान में डिजिटल युग है। आज कंप्यूटर आम जिदगी का खास हिस्सा बन गया है, चाहे वह घड़ी, टेलीफोन, वीडियो गेम्स, एटीएम या मार्केट ही क्यों न हो। कंप्यूटर के बिना कुछ भी सोच पाना आज के दौर में संभव नहीं है। जैसे-जैसे सूचना प्रौद्योगिकी का विकास हुआ, यह हमारी अर्थव्यवस्था में भी सबसे तेजी से विकसित होने वाला भाग बन गया। जिसके चलते अब अधिकतर लोग ऑनलाइन शॉपिंग की ओर अपना रुझान कर रहे हैं। वहीं खादी व ग्रामोद्योग उत्पाद भी अब आनलाइन मंगाए जा सकते हैं। खादी आयोग ने 50 हजार से अधिक उत्पादों की विस्तृत रेंज के साथ अपना ई-कामर्स पोर्टल लांच कर दिया है। हल्द्वानी क्षेत्रीय गांधी आश्रम के सचिव सुरेश पंत ने बताया कि वेबसाइट व मोबाइल एप के जरिए खरीदारी की जा सकती है। साथ ही भुगतान भी डिजिटल कर सकेंगे। कारीगर, बुनकर पोर्टल से जुड़कर सामान बेच सकते हैं। साथ ही ई-खादी इंडिया डाट काम के माध्यम से स्थानीय से लेकर देश के विभिन्न शहरों के उत्पादों की खरीद हो सकेगी।

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वोकल फार लोकल मुहिम के तहत खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी) ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए पोर्टल शुरू किया है। इससे उत्पादों को स्थानीय स्तर पर ही बाजार मिल जाएगा। पिछले कुछ वर्षों में खादी ग्रामोद्योग उत्पादों की मांग में उछाल आया है। कुमाऊं के छह जिलों में गांधी आश्रम के करीब 60 शोरूम हैं। खादी व ग्रामोद्योग उत्पाद लोगों की पसंद रहे हैं। कुमाऊं में प्रति माह 1.5 करोड़ से अधिक का कारोबार होता है। अकेले नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले के 28 शोरूम से प्रतिमाह 70 लाख की बिक्री होती है।

बता दें हल्द्वानी गांधी आश्रम के फतेहपुर व जसपुर की दो यूनिटों में ऊन व पाली से कंबल, थुलमा, गद्दा, चादर, तौलिया, शर्ट, सूट, स्वेटर, आसन व ग्रामोद्योग में धूप, अगरबत्ती, साबुन, तेल, मसाले, शहद आदि उत्पादित होता है। हल्द्वानी क्षेत्रीय गांधी आश्रम के सचिव सुरेश चंद्र पंत ने बताया कि खादी आयोग ने आनलाइन बिक्री शुरू की है। आयोग ने पत्र भेजकर सभी उत्पादन इकाइयों व बुनकरों को पोर्टल से जोडऩे के लिए कहा है। निश्चित ही इससे खादी को बढ़ावा मिलेगा।

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