
Uttarakhand: Haldwani: कुमाऊं मंडल के पर्वतीय और मैदानी इलाकों में आपदा की स्थिति अक्सर प्रशासन के लिए चुनौती बन जाती है। भूस्खलन हो या बाढ़ जैसी आपदा, ऐसे हालात में अधिकारियों का तुरंत मौके पर पहुंचना जरूरी होता है। लेकिन फोर बाय फोर वाहनों की कमी के कारण कई बार अधिकारियों को जोखिम उठाकर यात्रा करनी पड़ती है या फिर निजी गाड़ियों का सहारा लेना पड़ता है।
इसी समस्या के समाधान के लिए कुमाऊं कमिश्नर और मुख्यमंत्री सचिव दीपक रावत ने पहल की है। उन्होंने राजस्व परिषद को पत्र लिखकर मंडल की 22 तहसीलों के लिए फोर बाय फोर वाहन उपलब्ध कराने हेतु बजट की मांग की है।
धारचूला, मुनस्यारी, कपकोट और लोहाघाट जैसे दूरस्थ इलाकों में यह समस्या सबसे गंभीर है। इन क्षेत्रों में भूस्खलन और सड़क अवरोध सामान्य बात है। ऐसे में राहत और बचाव कार्यों में देरी होने से प्रशासन को जनाक्रोश का भी सामना करना पड़ता है।
कुछ साल पहले तक तहसीलों में जीप उपलब्ध होती थी, जिससे आपदाग्रस्त स्थानों तक पहुंचना सरल हो जाता था। लेकिन अब वाहन न होने से मुश्किलें बढ़ गई हैं। कमिश्नर दीपक रावत का कहना है कि नए वाहनों की उपलब्धता से आपदा प्रबंधन कार्य तेज और प्रभावी हो सकेंगे। इससे न केवल पहाड़ी क्षेत्रों तक बल्कि मैदानों के बाढ़ प्रभावित इलाकों तक भी अधिकारी तुरंत पहुंच पाएंगे।






