हल्द्वानी: अधिकतर लोग अपने दांतों को लेकर परेशान रहते हैं। कई बार देखने को मिलता है कि लोगों को ना चाहते हुए भी अपने दांतों को निकालना पड़ता है। उसके बाद उन्हें डेंचर (नकली दांत) का सहारा लेना पड़ता है लेकिन वो इसके बाद भी ठीक से खा नहीं पाते हैं। हल्द्वानी स्थित प्रकाश डेंटल हॉस्पिटल के डॉक्टर अनुराग अग्रवाल ने बताया कि टूटे हुए दांतों के स्थान पर नए मजबूत दांतों को लगाने के लिए डेंटल इंप्लांट सर्जरी की जाती है। इसके तहत पहले मसूड़ों में ड्रिलिंग की जाती है। स्क्रू लगाकर दांतों को फिट किया जाता है। धीरे-धीरे मसूड़े इस दांत पर अपनी पकड़ मजबूत करते जाते हैं। पूरा इंप्लांट करने में 4-5 महीने लगते हैं। हालांकि, अब तो ऐसे भी इंप्लांट हैं, जिनमें उसी दिन कैप या क्राउन के साथ डेंचर लगा दिया जाता है।
हल्द्वानी स्थित प्रकाश डेंटल हॉस्पिटल के डॉक्टर अनुराग अग्रवाल ने बताया कि इंप्लांट का सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को मिलेगा, जिनके दांत नहीं हैं या कम हैं। उन्होंने बताया अब ऐसी तकनीक आ गई हैं। जिससे एक ही दिन में इम्पलांट और दांत लगाना संभव हो गया है। पहले मरीज को इम्प्लांट लगाया जाता था। तीन तीन महीने तक इम्प्लांट के सेट होने का इंतजार किया जाता था। इसके बाद दांत लगाकर फिर से तीन महीने तक मरीज को इंतजार करना पड़ता था। अब नई तकनीक से एक ही बार में इम्प्लांट और दांत भी लगाए जाने लगे हैं। इससे मरीज मात्र तीन महीने में खाने-पीने लायक हो जाता है।